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दयानिधि पर तेजस्वी यादव का पलटवार, ‘बिहारी ना जाए तो ज़िन्दगी ठप्प हो जाए’

दयानिधि पर तेजस्वी यादव का पलटवार, ‘बिहारी ना जाए तो ज़िन्दगी ठप्प हो जाए’

DMK सांसद दयानिधि के बयान के बाद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दयानिधि के विवादित बयान वायरल होने के बाद बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पलटवार किया है। मीडियाकर्मी से बात करते हुए तेजस्वी ने कहा की DMK पार्टी सामाजिक न्याय में विश्वास रखती है। अगर उनके दल के कोई भी नेता यूपी और बिहार के लिए कुछ बोलते हैं तो यह निंदनीय है। उनके इस बयान से हम लोग सहमत नहीं है। तेजस्वी ने आगे बताया की यूपी और बिहार के मजदूरों की मांग पुरे देश में है। अगर वो ना जाएं तो उनकी ज़िन्दगी ठप्प हो जाएगी। उन्हें यह समझना चाहिए।

क्या है पूरा मामला ?

DMK सांसद द्वारा सामान्य जनसभा में दिए गए बयान पर पूरा हंगामा शुरू हुआ है। उन्होंने अपने बयान में हिंदी भाषियों को शौचालय साफ़ करने वाला बताया था। हालांकि उनकी ये वीडियो महीनो पुरानी बताई जा रही है लेकिन इस बयान के वायरल होने के बाद से बिहार और यूपी जैसे राज्यों के नेता हमलावर है। इसी प्रकरण में तेजस्वी यादव ने आगे कहा की अगर वो ये कहते की नाला कुछ विशेष जाति के लोग ही क्यों साफ़ कर रहे तो और बात होती। लेकिन उन्होंने पुरे यूपी-बिहार को लेकर ऐसी बात की है जो निंदनीय है।

तेजस्वी यादव ने इस तरह की बयानबाज़ी करने वाले नेताओं से कहा की उन्हें इस तरह की बयानबाज़ी से बचना चाहिए। ये एक देश है। हम ऐसी आशा करते हैं की दूसरे प्रदेश के लोग भी बिहार-यूपी और उनके लोगों का सम्मान करें।

राजद नेता श्याम रजक ने किया पलटवार

राजद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने भी DMK नेता दयानिधि के बयान की निंदा की है। श्याम रजक का कहना है की दयानिधि को हिंदी से इतनी नफरत क्यों है? उन्होंने मारन के बयान को पेरियार और सुब्रह्मण्यम के विचारों के खिलाफ बताया। आगे उन्होंने कहा की आज़ादी के समय वन्दे मातरम्, भारत माता की जय और जय हिन्द जैसे नारे दक्षिण राज्यों में लगते थे। ये लड़ाई हिंदी और तमिल के बीच की नहीं बल्कि मनुवाद को लेकर है। रजक के कहा की महात्मा गांधी भी अपना शौचालय खुद साफ़ किया करते थे शायद DMK नेता इसे भूल रहे हैं।

DMK नेता के बयान पर सभी पार्टियां हमलावर

DMK सांसद के द्वारा दिए गए बयान के बाद इसकी चर्चा हो रही है। बिहार और यूपी जैसे राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ने लगी है। चूँकि लोकसभा का चुनाव नज़दीक है और ऐसे में एक ही गठबंधन के नेता एक-दूसरे के राज्यों पर हमला करेंगे तो माहौल कैसा होगा इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है। इसी बीच भाजपा, जदयू, राजद और कांग्रेस पार्टी ने एक सुर में इसकी निंदा की है।

भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नितीश और लालू से स्पष्टीकरण माँगा है की ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं को हिंदी भाषी और बिहार वासियों से इतनी नफरत क्यों है? सभी पार्टियों ने दयानिधि के इस बयान को लेकर उनसे माफ़ी मांगने की बात कही है।

बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने विवादित बयान को लेकर आलोचना तो कर दी है। साथ ही उन्होंने ये भी कह दिया की बिहारी मजदुर एक तरह से उनके राज्य के रीढ़ की हड्डी का काम करते हैं। लेकिन एक प्रदेश के सर्वोच्च पद पर बैठे नेता से जनता ये उम्मीद करती है की वो अपने लोगों को ये विश्वास दिलाये की उन्हें काम के लिए किसी दूसरे प्रदेशों में जाकर मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।

उनकी जनता को उन्हें ये आश्वासन देना चाहिए था की बिहार वासियों और खासकर मजदुर तबके के लोगो के लिए उनकी सरकार वही व्यवस्था करे। लेकिन राजनीति में इस तरह का बयान देना शायद इतना आसान नहीं है और यही कारण है की बिहार वासी आज तक उस दंश को झेल रहे हैं और रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे प्रदेश में जाकर दूसरों की हीन भावना का पात्र बन रहे हैं। बिहार सरकार को चाहिए की आने वाले समय में पलायन को रोक कर उन्हें वहीं रोज़गार देने की व्यवस्था की जाए।

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