‘मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी’-लालू आवास के बाहर RJD ने लगवाया है पोस्टर
राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी चल रही है। देश भर में इसकी धूम है तो दूसरी तरफ आलोचनाएं भी की जा रही हैं। दूसरी तरफ लालू-राबड़ी आवास के बाहर एक पोस्टर लगाया गया है। इस पोस्टर में मंदिर ना जाने की अपील की गयी है वहीं स्कूल जाने को लेकर बढ़ावा दिया गया है। ज़ाहिर है राम मंदिर को लेकर इस तरह का पोस्टर लगाना राजनीति से प्रेरित लगता है।
क्या लिखा है पोस्टर में ?
इस पोस्टर में लिखा है “मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी का मार्ग और स्कूल का मतलब होता है जीवन का मार्ग। जब मंदिर की घंटी बजती है तो हमें सन्देश देती है की हम अंधविश्वास, पाखण्ड, मूर्खता और अज्ञानता की ओर बढ़ रहे हैं और जब स्कूल की घंटी बजती है तो यह सन्देश मिलता है की हम तर्कपूर्ण ज्ञान और वैज्ञानिकता व प्रकाश की ओर बढ़ रहे हैं। अब तय करना है आपको की किस ओर जाना चाहिए ?”
इस पोस्टर की ख़ास बात यह है की यह लालू-राबड़ी आवास के बाहर लगाया गया है। दूसरी ओर इसमें एक खासियत इसलिए भी है क्योंकि इस पोस्टर में सबसे बड़ी फोटो राजद के उस विधायक की है जिन्होंने हाल ही में एक विवादित बयान दिया था। फ़तेह बहादुर सिंह, रोहतास डेहरी से विधायक हैं। इन्होने कुछ दिनों पहले ही हिन्दू धर्म में विद्या की देवी माने जाने वाली माता सरस्वती को लेकर एक विवादित बयान दिया था।
इन्होने अपने बयान में कहा था की माता सरस्वती की जगह सावित्री बाई फुले की तस्वीर विद्यालय में होनी चाहिए। सावित्री बाई फुले की ही पूजा भी होनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार से सावित्री बाई के लिए भारत रत्न की मांग करते हुए देश की पहली महिला शिक्षिका भी बताया था।
उनके इस बयान के बाद इनकी आलोचना की गयी थी। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इसका पलटवार करते हुए कहा था की अगर इतनी ही हिम्मत है तो मुसलमानो के कुरआन पर बोल कर दिखाए। गिरिराज सिंह ने ये भी कहा था की ये सारे नेता कायर हैं जो हिन्दू धर्म पर कटाक्ष करते हैं।
इस पोस्टर में 7 जनवरी को होने वाले सावित्री बाई फुले की जयंती समारोह की जानकारी दी जा रही है। जिसके उद्घाटनकर्ता के रूप में बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और मुख्य अतिथि के रूप में श्री आलोक मेहता (राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री) व अन्य हैं। मंदिर से सम्बंधित पोस्टर पर लिखे गए शब्द सावित्री बाई फुले को अंकित किया गया है।
लोकसभा चुनाव के करीब ऐसा स्टंट क्यों ?
ये समझने वाली बात है जहां एक ओर तो पूरा देश राममय है वहीं चुनाव के दौरान राजद की तरफ से हिन्दू विरोधी बयान और टिप्पणी की जा रही है। ऐसे में ये समझना मुश्किल है की राजद ऐसा क्यों होने दे रही है? लालू या तेजस्वी की तरफ से इसके विरोध में कोई बयान ना आने का मतलब यही होता है की यह सब उनकी जानकारी में है। हालांकि बाकी सभी पार्टियों ने इसका विरोध किया है। बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इन सभी मुद्दों पर राजद को आड़े हाथों लिया है।
लोकसभा चुनाव की रैलियां लगभग शुरू हो चुकी हैं और ऐसे में एक बड़े तबके के खिलाफ इस तरह बयानबाज़ी करना क्या किसी ख़ास तबके को पुरे तरीके से जोड़ने के लिए किया जा रहा है? या फिर इसके पीछे कोई और कारण है? क्योंकि ये बात सर्वविदित है की राम मंदिर के लिए लगभग-लगभग देश का बड़ा हिस्सा खुश हैं। ऐसे में मंदिर का विरोध राजद को कहाँ तक फायदा दिलाता है ये चुनाव परिणाम में साफ़ हो जाएगा।