हिन्दू विरोधी बयान पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव लगाएंगे अंकुश, ब्राह्मणो की सभा में दिया बयान
चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आती जा रही है वैसे-वैसे सभी पार्टियां अपने-अपने समीकरण बनाने में लगी है। लोकसभा चुनाव को अब कुछ ही महीने रह गए हैं और ऐसे में इनकी मेहनत अब दिखाई देने लगी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में मशगूल हो गए हैं। दलित, पिछड़ा और अल्पसंखयकों की राजनीति करने वाली पार्टी सपा ने ब्राह्मण सभा का आयोजन किया है। लखनऊ के सपा कार्यालय में कन्नौज से आये हुए महा ब्राह्मण समाज पंचायत का सम्मलेन हुआ। इस सम्मलेन में अखिलेश यादव भी शामिल हुए।
इस कार्यक्रम के दौरान पूर्व मंत्री एवं सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के हिन्दू धर्म विरोधी बयान पर चर्चा हुई। हिन्दू धर्म और उनके धार्मिक ग्रंथों को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा किये गए विवादित बयानों पर ब्राह्मणों ने आपत्ति जताई। हालांकि इस चर्चा में ज़ाहिर तौर पर किसी का नाम नहीं लिया गया। वहाँ मौजूद पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने इस तरह के बयानों पर रोक लगाने की मांग की है। जब इस बारे में चर्चा होने लगी तब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया।
अखिलेश यादव ने आश्वासन देते हुए कहा की इस तरह की चीज़ों पर अंकुश लगाया जाएगा। उन्होंने सभी को नसीहत देते हुए कहा की धर्म और जाति को लेकर टिप्पणी ना करें। हालांकि इससे पहले भी अखिलेश यादव ने इस तरह की टिप्पणी करने से मना किया है लेकिन उसका कुछ ख़ास असर देखने को नहीं मिला है। समाजवादी पार्टी के ही कई ब्राह्मण नेताओं ने अखिलेश से स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों को लेकर शिकायत की है।
स्वामी प्रसाद मौर्या के हिन्दू विरोधी बयान
सामान्य तौर पर हिन्दुओं के धार्मिक ग्रंथों और त्योहारों को लेकर आये दिन विरोध देखने को मिलता है। चाहे वो दिवाली पर पटाखे जलाने को लेकर हो या फिर होली में रंग लगाने को लेकर। शिवलिंग पर दूध चढ़ाना हो या ब्राह्मणो को दान देकर। इन सभी चीज़ों में प्रबुद्ध और नेता जैसे लोग आपत्ति करते रहे हैं। इसी तरह स्वामी प्रसाद मौर्य भी लगातार ऐसे बयान देते रहते हैं जिससे हिन्दू भावनाएं आहत होती हैं।
हिन्दू राष्ट्र की मांग जैसे मुद्दों पर स्वामी प्रसाद मौर्या इसे देशद्रोह बताते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के अनुसार हिन्दू कोई धर्म नहीं है। हिन्दू कोई धर्म नहीं बल्कि एक धोखा है जैसे बयान इन्हे सुर्ख़ियों में रखते हैं। इसी साल अगस्त के महीने में उन्होंने ब्राह्मणवाद को समाज के अंदर सारी विषमता का कारण बता दिया।
ब्राह्मणवाद की जड़े बहुत गहरी है और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है। हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हिंदू धर्म केवल धोखा है। सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर के इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में… pic.twitter.com/351EJeSBlY
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) August 27, 2023
उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जहां ब्राह्मणो की आबादी 12-14 फीसदी बताई जाती है वहाँ ब्राह्मण को सीधे तौर पर गलत ठहराना सपा के लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है। यही कारण है की सपा प्रमुख अखिलेश यादव ब्राह्मणों के साथ सभाएं कर रहे हैं और उन्हें अपने तरफ आकर्षित करने की कवायद में लगे हैं। पूर्वांचल और अवध के 12 ज़िलों में ब्राह्मण वोट का बहुत असर है। यही कारण था की अखिलेश यादव ने भगवान् परशुराम की प्रतिमा स्थापित करवाई थी।
पुराने समय से ब्राह्मण कांग्रेस के साथ थे मगर राम नाम की लहर और राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर अधिकाधिक ब्राह्मण अब बीजेपी के साथ हो गए हैं। यही कारण है की सभी पार्टियां उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोटरों को रिझाने में लगी है। जानकारी के अनुसार जब ब्राह्मण वोटरों ने 2022 में हुए चुनाव के दौरान मायावती का साथ दिया था तो प्रदेश में पहली बार बहुजन समाजवादी की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ बनी थी।
हालिया INDIA गठबंधन के दक्षिण भारत के नेताओं ने हिंदी भाषी और हिन्दू धर्म के लोगों पर विवादित टिप्पणी की थी। जिसको लेकर सभी लोगों में रोष था। ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव बिना हिंदुत्व की बात किये संपन्न करना सभी पार्टियों के लिए मुश्किल साबित हो सकता है।