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नवरात्री में माता के 9 रूपों की होती है पूजा, माता के 9 नाम

नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है और आज चतुर्थी तिथि है। इस तिथि के अनुसार आज माता कुष्मांडा की पूजा होगी। इसी तरह नवरात्रि के 9 दिनों तक माता के नौ रूपों की पूजा होती है। इन नौ स्वरूपों में माता के रूप भिन्न प्रकार के होते हैं। उनकी सवारी अलग होती है। उनकी पूजा और याचना भिन्न प्रकार से की जाती है। इस लेख में हम माता के नौ रूपों की चर्चा करेंगे और उनके नाम सहित उनकी विशेषता बताएंगे।

1 शैलपुत्री – नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। सामान्य शब्दों में कहें तो जिस दिन हम कलश की स्थापना करते हैं, उस दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता के इस स्वरुप में माता नंदी की सवारी करती हैं। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता है। उनके माथे के ऊपर अर्धचंद्र भी दिखाई देता है। माता शैलपुत्री के बारे में कहा जाता है की यह जीवन में धन, भावनात्मक संतुलन और आध्यात्मिक जागृति को नियंत्रित करती हैं। इन्हे जीवन के स्रोत के रूप में भी देखा जाता है इन्हे ही माता प्रकृति भी कहा जाता है।

2 ब्रह्मचारिणी – नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इनके स्वरुप की बात करें तो यह बहुत ही सादे कपड़ों में होती है जिनके हाथ में एक कमंडल और दाएं हाथ में एक माला होती है। यह रुद्राक्ष माला भी धारण करती है। इन्हे मंगल गृह की स्वामी भी कहा जाता है। यह बुद्धि, ज्ञान और प्रेम की देवी हैं जिनमें शालीनता की झलक दिखती है।

3 चंद्रघंटा – नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इनके नाम में ही इनकी विशेषता छिपी हुई है जिसमे घंटा आता है। दरअसल माता के माथे पे चंद्र इस प्रकार सजा होता है जैसे वो कोई घंटी हो और इस घंटी के बजने पर जितनी बुरी और गन्दी ऊर्जा है वो इनके आगमन मात्र से दूर हो जाती है। इनके स्वरुप की बात करें तो इनके दस हाथ होते हैं, इनकी सवारी एक शेर होता है। इनके दस हाथों में अलग-अलग हथियार दिखाई देते हैं और आशीर्वाद मुद्रा भी दिखाई पड़ती है। माता चंद्रघंटा, स्त्री शक्ति और अलौकिक शक्ति की देवी हैं जो यह बताती हैं की खुद के अंदर की शक्ति को कैसे पहचानना है।

4 कुष्मांडा – नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा होती है जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा और सृजन की देवी मानी जाती हैं। इनके स्वरुप की बात करें तो इनके आठ हाथ होते हैं जो बाघ की सवारी करती दिखाई देती हैं। और उनके हाथ में शस्त्र भी दिखाई देता है। इनकी पूजा बुरी शक्तियों को दूर भगाने, आध्यात्मिक जागृति को बढ़ाने और हिम्मत को बढ़ाने के लिए की जाती है। मूल रूप से कुष्मांडा शब्द एक फल को परिभाषित करता है जिसे तरबूज या विंटर मेलोन भी कहा जाता है। इसकी प्रकृति के रूप में बहुत औधधिय फायदे होते हैं जो शरीर को स्वस्थ और बलशाली रखता है।

5 स्कंदमाता – नवरात्रि के पांचवे दिन माता स्कन्द की पूजा की जाती है। इनकी विशेषता यह है की यह पालन, सुरक्षा, शक्ति, सुख-समृद्धि और अपने भक्तों को मोक्ष प्रदान करने के लिए जानी जाती है। इसके अलावा इनकी पूजा विशेषकर अपने अंदर छुपे नकारात्मक ऊर्जा और बुराइयों को दूर करने के लिए भी की जाती है। यह शेर की सवारी करती हैं और इनके भी चार हाथ होते हैं। इनके एक हाथ में कमल तथा दूसरे हाथ में आशीर्वाद की मुद्रा होती है। उसके अलावा अपने दो अन्य हाथों में ये शस्त्र धारण करती हैं। इनके माथे के पीछे सूर्य का सुनहला प्रकाश पुंज होता है जो एक अलोकिक शक्ति का प्रतिनिधत्व करता है। इनके स्वरुप में एक विशेषता यह भी है की यह अपने पुत्र जो छह सर वाला होता है को अपने गोद में लिए दिखाई देती हैं और उनके पुत्र का नाम स्कन्द है इसलिए इन्हे स्कंदमाता कहा जाता है। इसके अलावा इनकी प्रकति के अनुसार इनका एक अन्य नाम भी है, पद्मासना।

6 कात्यायनी – माता कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन होती है। इनके नाम के अनुसार यह बाधाओं की दूर करने और विवाह के उपरांत आपसी सद्भाव को बढ़ाने वाली माना जाता है। यह शक्ति और सुरक्षा की देवी मानी जाती हैं। इनकी पूजा करने से बाधाओं से मुक्ति मिलती है तथा जीवन की हर चुनौतियों से निपटने की शक्ति मिलती है। यह शेर की सवारी करती हैं और चार हाथों वाली देवी होती हैं। जिसमे एक हाथ में कमल और दूसरे में तलवार होता है तथा बाकी दो हाथों से ये आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

7 कालरात्रि – नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। इनकी प्रकृति निडर, संहारक और बुराई पर अच्छाई के रूप में मानी जाती है। इनके काल संहारक भी कहा जाता है। इनका स्वरुप काला होता है और इनके बाल थोड़े घने लम्बे और बिखरे हुए दिखाई देते हैं। इनके चार हाथ होते हैं और तीन आँखें होती हैं। इनकी सवारी एक गधे की होती है। इनकी आराधना, सफलता, स्वास्थय और शान्ति के लिए की जाती है।

8 महागौरी – महागौरी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है। इनके नाम के अनुसार ही इनका स्वरुप बहुत ही शांत और सौम्य होता है। यह सफ़ेद कपड़ों में नंदी के ऊपर सवारी करती दिखाई देती है। इनके पार्वती माता का स्वरुप माना जाता है। इनकी पूजा मन की शान्ति, समृद्धि और तकलीफों को दूर करने के लिए की जाती है। महागौरी का नाम ही इनकी पहचान है क्योंकि उसका मतलब होता है अत्यंत सफ़ेद या साफ़ जो चमकती हुई दिखाई देती हैं और जिन्हे देख कर एक अलौकिक शांति प्राप्त होती है।

9 सिद्धिदात्री – सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के 9 दिन पे होती है। यह मां दुर्गा का नौवां और अंतिम स्वरूप है। इनके नाम के अनुसार ही इनकी प्रकृति है, सिद्धिदात्री। जो सिद्धियों को देने वाली, अपने भक्तो का दुःख दूर करने वाली। इसके अलावा अपने भक्तों को मोक्ष, यश, बल तथा मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली होती है। इनके स्वरुप की बात करें तो यह विशाल कमल के फूल पर विराजमान होती हैं। इनकी चार भुजाएं होती हैं जिनमे शंख, चक्र, गदा और कमल धारण किये होती हैं। ऐसा कहा जाता है की स्वयं भगवन शिव ने भी सिद्धि प्राप्त करने के लिए इनकी आराधना की थी। इनकी पूजा के दिन 9 कन्याओं को भोजन कराने का भी नियम है जो आमतौर पर सभी भक्तगण करते हैं।

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