बीते दिनों इंडिया और पाकिस्तान के बीच खेले गए मैच में अभिषेक शर्मा ने बेहतरीन प्रदर्शन दिया जिसके बाद सोशल मीडिया पर कल से ही अभिषेक शर्मा का नाम और उनकी “जाति” ट्रेंड करने लगी। सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है जिसमे कुछ लोग ये कह रहे हैं की अभिषेक शर्मा “ब्राह्मण” हैं वहीं दूसरे पक्ष का कहना है की अभिषेक शर्मा “बढ़ई या लोहार” जाति से आते हैं। इसको लेकर आज पुरे दिन सोशल मीडिया पर घमासान बना हुआ था। इसी बीच सोशल मीडिया प्लेटफार्म “इंस्टाग्राम” पर अभिषेक शर्मा की बहन ने पोस्ट डालकर सबके सवालों पर विराम लगा दिया।
“छोरा बामन का”
अभिषेक शर्मा की बहन ने मैच के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन के बाद अपने भाई के साथ इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट डाला और उसके कैप्शन में उन्होंने लिखा “छोरा बामन का”। इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर चल रह दो गुटों के विवाद का अंत हो गया। जिनको शर्मा टाइटल देख कर आपत्ति हो रही थी की वो “बढ़ई या लोहार” जाति से सम्बन्ध रखते हैं, उन्हें उनके “ब्राह्मण” वाले पोस्ट से शायद निराशा हुई होगी। इस तरह जाति-जाति पर लड़ाई होता हुआ देख ही शायद उनकी बहन ने इस तरह का पोस्ट किया होगा।
राष्ट्रीय खिलाड़ियों में जाति क्यों?
ऐसे में सवाल ये है की देश की तरफ से खेलने वाले किसी भी जाति, धर्म, रंग आदि को लेकर देश के अंदर ही विवाद की स्थिति क्यों उत्पन्न होती है? हर एक मसले में राजनीति का लाना, देश की सम्प्रभुता और उच्च कोटि प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। देश का एक खिलाड़ी चाहे वह किसी भी जाति से क्यों न हो वह देश के लिए खेलता है और उसे देश की धरोहर की तरह देखना चाहिए जो जाति, धर्म और सम्प्रदाय से ऊपर है। हम जिस प्रकार मोहम्मद शमी और ज़हीर खान से प्रेम करते हैं, उसी तरह से रिंकू सिंह या अभिषेक शर्मा को लेकर हमारे में में गर्व की अनुभूति होनी चाहिए।
चाहे अभिषेक शर्मा ब्राह्मण हैं या कोई और जाति से उनका सम्बन्ध हो, उनका खेल देश को समर्पित है और देश में आप, हम जैसे विभिन्न जाति, समुदाय के लोग निवास करते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की खिलाड़ी की समूह से है। वह हमारे देश के लिए खेल रहा है तो वो हमारा अपना है और हमें उनके प्रति ऐसा ही सामान्य व्यवहार रखना चाहिए।

