अब डॉलर के बदले भारतीय ‘रुपये’ से होगा व्यापार, प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी जीत
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के दौरना जितनी भी लेन-देन की प्रक्रिया होती है सामान्य तौर पर ‘डॉलर’ के रूप में की जाती है। ये प्रक्रिया एक लम्बे समय से चली आ रही थी। यही कारण है की अमेरिकी डॉलर दुनिया भर में एक मज़बूत ‘करेंसी’ मानी जाती है। लेकिन भारत के अथक प्रयास के कारण अब ये संभव होने जा रहा है जो पहले संभव नहीं था।
मौजूदा समय में ऊर्जा उपभोक्ता के रूप में भारत तीसरे नंबर पर आता है। ऐसे में रुपये से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना एक अच्छी खबर है। भारत सरकार ने रुपये को एक अच्छी स्थति में लाने के लिए पहला प्रयास किया है। UAE के साथ एक समझौते के तहत रुपये में निपटान को औपचारिक रूप दे दिया गया है। जिसके बाद इंडियन आयल कारपोरेशन ने अबू धाबी नेशनल ऑइल कंपनी से 10 लाख बैरेल कच्चा तेल खरीदने के लिए रुपये में भुगतान किया।
भारत में तेल का कोई विशेष श्रोत नहीं है और यही कारण है की भारत लगभग 85 फीसदी तेल बाहर से आयात करता है। हाल ही में रूस से आयात कच्चे तेल के कुछ हिस्से में रुपये द्वारा भुगतान किया गया है। भारत ने पहले भी रूस के साथ अपनी करेंसी में आयात-निर्यात करने की वकालत की थी। जिसकी शुरुआत धीरे-धीरे होने लगी है। भारत सरकार द्वारा यह कदम प्रगतिशील है और आने वाले समय में भारतीय रूपया और मज़बूत हो सकता है।
क्या ख़त्म हो जाएगी ‘डॉलर’ की राजशाही ?
दुनिया भर में लगभग सभी देश अंतर्राष्ट्रीय आयात-निर्यात ‘डॉलर’ के माध्यम से ही करते आये हैं। यही कारण है की अमेरिका जैसे देश अपनी इस स्थिति का भरपूर फायदा उठाता आया है। हालांकि भारत ने इस प्रभुत्व को चुनौती देने के उद्देश्य से शुरुआत कर दी है और ऐसी उम्मीद जताई जा रही है की इसी कड़ी में बहुत सारे देश शामिल हो जाएंगे। इसी को आगे बढ़ाते हुए भारत सरकार ने UAE और सऊदी अरब के अन्य तेल निर्यातकों के साथ रुपये में भुगतान करने को लेकर बातचीत कर रही है। ऐसे में ‘डॉलर’ की उपयोगिता धीरे-धीरे घट सकती है और आने वाले समय में अमेरिका इसके खिलाफ भी हो सकता है।
‘रुपये’ में क्यों किया जा रहा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार RBI ने लगभग 22 देशों के साथ रुपये में व्यापार करने के लिए राज़ी कर लिया है। RBI ने पिछले तीन वर्षों में सीमा पार भुगतान में रुपये के उपयोग को बढ़ाने के प्रयास में लगभग एक दर्जन से अधिक अंतर्राष्ट्रीय बैंकों को रूपए में व्यापार करने की मंज़ूरी दे दी है।
बताया जाता है की ऐसा करने से भारतीय मुद्रा का चलन वैश्विक हो सकेगा और साथ ही साथ रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण से ‘डॉलर’ की मांग भी धीरे-धीरे ख़त्म हो जाएगी। 1970 के दशक से ही तेल के भुगतान के रूप में ‘डॉलर’ का चलन चलता आया है। अगर रुपये का इस्तेमाल सुचारु रूप से शुरू हो गया तो भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक मुद्रा की गिरावट से कम प्रभावित होगी। ये भारत की मज़बूत स्थिति बनाने में और सहायक सिद्ध हो सकता है।
नरेंद्र मोदी की सरकार इस प्रयास को बहुत पहले से शुरू करने की कवायद में लगी थी। ताकि आने वाले समय में रुपये की स्थति मज़बूत हो सके और ‘डॉलर’ की निर्भरता ख़त्म की जा सके। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है की जल्द ही भारत और UAE के बीच 8000 अरब रुपये के ट्रेड टारगेट को हासिल किया जाएगा। मोदी के अनुसार ये समझौते आर्थिक लेन-देन को बढ़ांएगे और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय लेनदेन भी सरल बन सकेगा। द्विपक्षीय व्यापार में भारत और UAE 85 अरब डॉलर तक पहुँच चुके हैं और हम जल्द ही 100 अरब डॉलर के टारगेट तक पहुंचेंगे।