अरविंद केजरीवाल ने ‘मुस्लिम वक़्फ़ बोर्ड’ को दिए 101 करोड़ रुपये? जाने क्या है पूरा मामला
RTI एक्टिविस्ट अजय बोस के द्वारा दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड को 2015 से अब तक कितनी मदद प्राप्त हुई इसको लेकर जानकारी मांगी गयी। जिसकी जानकारी के रूप में उन्हें प्राप्त हुआ की दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा करोड़ों की राशि दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड को दी जा चुकी है। OP इंडिया न्यूज़ एजेंसी के रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार ने अब तक 101 करोड़ रुपये दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड को दिया है।
पिछले सात सालों में हर साल दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड को दिल्ली सरकार से मिलने वाली राशि में गजब की बढ़ोत्तरी देखि गयी है। पहले साल में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये और पिछले साल वही रकम 62 करोड़ में बदल गयी। जिसको लेकर ट्वीटर पर अन्य लोग इस बारे में चर्चा कर रहे हैं। ऐसे सवाल भी किये जा रहे हैं की वक़्फ़ बोर्ड की रकम इतनी तेज़ी से क्यों बढ़ाई जा रही है और दिल्ली की जनता को इससे क्या लाभ होने वाला है?
This RTI response came in 2022.
Here is the report:
RTI reply reveals that the Delhi AAP government gave Rs 101 crores to the Delhi Waqf board in seven yearshttps://t.co/gBNBGpqpm8 https://t.co/eFCsQdaZaH
— Nupur J Sharma (@UnSubtleDesi) December 25, 2023
कुछ दिनों पहले तक अरविंद केजरीवाल की एक वीडियो भी बहुत वायरल हो रही थी जिसमे वो ये कहते हुए सुनाई दे रहे थे की मुंबई के सबसे अमीर आदमी (अम्बानी) की जो प्रॉपर्टी है वह वक़्फ़ बोर्ड की ज़मीन पर बनी है और अगर उनकी सरकार होती तो वह ज़मीन वक़्फ़ बोर्ड को वो खाली करवा कर देते।
बीते साल सितम्बर 2022 में मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं की 2014 लोकसभा चुनाव के ठीक पहले तत्कालीन UPA सरकार ने दिल्ली की 123 सरकारी सम्पत्तियों को वक़्फ़ बोर्ड के नाम कर दिया था। टाइम्स नाउ के द्वारा दी गयी एक खबर के अनुसार ये फैसला कैबिनेट ने बहुत ही गुपचुप तरीके से लिया। जो सम्पत्तियाँ UPA सरकार ने दिल्ली में वक़्त बोर्ड के नाम की है वह बहुत महँगी और ख़ास हैं। दिल्ली के कनॉट प्लेस, अशोका रोड, मथुरा रोड और अन्य VVIP इलाकों की सम्पत्तियाँ वक़्फ़ बोर्ड के नाम की गयी हैं।
‘मुस्लिम वक़्फ़ बोर्ड’ क्या है?
सामान्य भाषा में वक़्फ़ बोर्ड एक ऐसी संस्था है जो अल्लाह के नाम पर दान की गयी सम्पत्तियों का रख-रखाव करता है। आज़ाद भारत में इस वक़्फ़ एक्ट की शुरुआत नेहरू सरकार 1954 में ले के आई थी। इसी एक्ट में साल 1995 को फिर से संशोधन हुआ। इस संशोधन के बाद वक़्फ़ एक्ट को लेकर विवाद शुरू हो गया।
भारत में वक़्फ़ बोर्ड के पास अकूत संपत्ति बताई जा सकती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार रेल और सेना के बाद भारत में सबसे ज़्यादा संपत्ति वक़्फ़ बोर्ड के पास है। अल्पसंख्यक मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार वक़्फ़ बोर्ड के पास पुरे देश भर में 8,65,646 सम्पत्तियाँ पंजीकृत हैं। इनमे सबसे ज़्यादा संपत्ति पश्चिम बंगाल में है। देश के अन्य राज्यों में भी वक़्फ़ बोर्ड के पास अनेकों सम्पत्तियाँ हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने की याचिका ख़ारिज
पिछले साल 2022 में वक़्फ़ बोर्ड को लेकर अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा की याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप में इससे प्रभावित नहीं हुए हैं। दूसरी तरफ अश्विनी उपाध्याय इस कानून की संवैधानिक मान्यताओं पर सवाल उठाते रहे हैं। उनके अनुसार ये एक्ट सिर्फ मुस्लिमों के लिए बनाया गया है। जब संविधान में ही ऐसा शब्द नहीं था तो वक़्फ़ एक्ट बना कैसे?
इस बोर्ड में मुस्लिम विधायक, एमपी, वकील, आईएएस, स्कॉलर, टाउन प्लानर और एक मुतवल्ली होता है। मगर इसका पूरा खर्चा आम जन के टैक्स से दिया जाता है। उपाध्याय के अनुसार जब सरकार मस्जिद, मज़ारों से पैसे ही नहीं लेते और वक़्फ़ पर उसके सदस्यों के वेतन के लिए पैसे खर्च करती है तो ये आर्टिकल 27 का उल्लंघन नहीं होता है?
वक़्फ़ बोर्ड एक्ट 1995 को निरस्त करने के लिए राज्यसभा में एक निजी विधेयक पेश किया गया था। भारतीय जनता पार्टी के हरनाथ सिंह यादव ने यह विधेयक सदन में पेश करने की अनुमति मांगी थी। विधेयक के पक्ष में 53 मत मिलने के बाद इसे सदन में पेश किया गया। हालांकि इस विधेयक के प्रस्तुत किये जाने पर सपा और कांग्रेस के नेताओं ने खूब हल्ला भी काटा। फिलहाल इस पर अभी तक कोई विशेष फैसला नहीं हुआ है और ऐसी उम्मीद की जा सकती है की बीजेपी सरकार इस कानून को लेकर भी कुछ सोच रही होगी।