तेजप्रताप यादव ने राम मंदिर समारोह में जाने को लेकर क्या बोला? सुशिल मोदी ने लालू-नीतीश पर जताई आपत्ति
राम मंदिर समारोह के लिए सभी गणमान्य व्यक्तियों को न्योता भेजा जा रहा है। अब तक कई निमंत्रण पत्र बंट चुके हैं उसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने भी सभी लोगों को आमंत्रित करने की घोषणा की है। इसी बीच बिहार की राजनीति में मंदिर को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है। राजद नेता मंदिर ना जाने की सलाह दे रहे हैं तो बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बीमार होने पर अस्पताल और मंदिर के बीच चुनाव करने को कह रहे है।
बिहार सरकार के मंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बड़े बेटे से राम मंदिर समारोह में जाने को लेकर सवाल पूछा तो जवाब में उन्होंने कहा की हम कृष्णा के भक्त हैं, हम वृन्दावन जाते हैं। आपको बता दे की कुछ दिनों पहले मधुबनी की एक जनसभा के दौरान तेजस्वी यादव ने जनता से सवाल किया की अगर आपका पैर कट जाए या बीमार हो जाएं तो कहाँ जाइयेगा, मंदिर या अस्पताल? भूख लगेगा तो मंदिर में पेट भर जाएगा क्या? तेजस्वी यादव के बयान से भाजपा नेता भड़क गए और इसे तुष्टिकरण की राजनीति बताया।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर मिश्र ने आरोप लगाते हुए कहा की गोमाता का चारा खाने वाले भक्ति का भाव कैसे समझ पाएंगे? मिश्र ने आगे कहा की लोगों की अपनी-अपनी सोच है, कोई गोमाता का चारा खा लेता है, नौकरी देने के बदले ज़मीन की रजिस्ट्री करवा लेता है तो कोई गरीब लोगों को मुफ्त राशन और मंदिर बनवाता है। उन्होंने ये टिप्पणी तेजस्वी यादव के ऊपर करते हुए कही।
सुशिल मोदी ने क्या कहा?
बीजेपी सांसद सह पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशिल मोदी ने कहा है की नीतीश कुमार और लालू यादव अगर सभी आस्था का सम्मान करते हैं और मज़ार पर चादरपोशी करते हैं, गुरुद्वारे में मत्था टेकने जाते हैं तो फिर अयोध्या धाम की यात्रा करने में क्या परेशानी है? 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद दर्शन पूजन के लिए सभी श्रद्धालुओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं आमंत्रित किया है। ऐसे में अलग से आमंत्रण की अपेक्षा और राजनीति नहीं होनी चाहिए।
सुशिल मोदी ने आगे बताते हुए कहा की श्रीराम का गुरुकुल (बक्सर) और ससुराल (मिथिलांचल) दोनों बिहार से है और एक पौराणिक सम्बन्ध पहले से है जिसे राजनीति नहीं तोड़ सकती है। 500 साल के संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करते हुए राम जन्मभूमि स्थल पर श्रीराम का भव्य मंदिर स्थापित हो रहा है। सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले को दर्शन-पूजन के लिए यहां आना चाहिए।
क्या लालू-नीतीश राम मंदिर समारोह में शामिल होंगे?
अब तक की मिली जानकारी के अनुसार अभी तक लालू यादव और नीतीश कुमार को निमंत्रण पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। ऐसे में उनके लिए इस समारोह में शामिल होना अलग अनुभव की तरह होगा। मंदिर समारोह में शामिल होना और वो भी देश के बड़े चुनाव के कारण उनकी राजनीति के लिए शायद उचित नहीं है। यही कारण है की ऐसा कोई बयान प्रत्यक्ष रूप से उनकी तरफ से नहीं दिया गया है। लगभग हर बार राम मंदिर समारोह को लेकर पूछे जा रहे सवाल को वो बस टालते आये हैं। ऐसे में ये उम्मीद करना की वो इस समारोह में शामिल होंगे, इस पर संदेह है।
दूसरी तरफ राजद नेताओं के हिन्दू मंदिरों और देवी-देवताओं पर की गयी आपत्तिजनक टिप्पणी से ये साफ़ होता है की राजद तो किसी भी कीमत पर ये समारोह में शामिल नहीं होगी। रही बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तो उनके बारे में कुछ कहना इस वक़्त उचित नहीं है, क्योंकि उनकी राजनीति कब किस ओर करवट ले लेगी इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। शायद यही कारण है की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लम्बे समय से बिहार की राजनीति में ओपनर बैट्समैन की तरह पारी खेलते आये हैं।
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