नीतीश कुमार होंगे NDA में शामिल? ललन सिंह के इस्तीफे के बाद हो रही है चर्चा, बिहार में राजनीती की उठा-पटक शुरू
पिछले कुछ दिनों से लगातार ललन सिंह और लालू परिवार के बीच बढ़ती नज़दीकियां बिहार में चर्चा का विषय थी। मीडिया में ऐसी बात चलने लगी थी की नीतीश की पार्टी जदयू का विलय लालू यादव की पार्टी राजद में की जा सकती है। इसको लेकर नीतीश भी काफी सक्रिय दिखाई दे रहे थे। हालांकि अब मामला पलट चुका है और पार्टी की कमान एक बार फिर से नीतीश कुमार के हाथ में आ गयी हैं। इसी बीच नीतीश कुमार के NDA में शामिल होने को लेकर चर्चा का बाज़ार गर्म होने लगा है।
ललन सिंह क्या तेजस्वी को बनाना चाहते थे मुख्यमंत्री ?
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर यह कहा जा रहा है की ललन सिंह की राजद के साथ नज़दीकियां बढ़ने का कारण तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना था। इसकी पटकथा लिखी ही जा रही थी की इस पर ब्रेक लग गया। ललन सिंह ने नीतीश कुमार के करीबी वरिष्ठ मंत्री के साथ मिलकर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा जिसके लिए नीतीश तैयार नहीं हुए। इसी के साथ जदयू के अंदर चर्चा तेज़ होने लगी और धीरे-धीरे आगे की रणनीति तय की जाने लगी। तब कहीं जाकर ललन सिंह को जदयू के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया और अब नीतीश कुमार इसके सर्वेसर्वा हो चुके हैं।
ऐसा कहा जा रहा है की जब नीतीश कुमार ने ललन सिंह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया तभी से ललन सिंह ने जदयू को तोड़ने की प्लानिंग शुरू कर दी थी। इसके तहत लगभग 10-12 विधायकों के साथ गुप्त तरीके से मीटिंग हुई और ये तय हुआ की तेजस्वी यादव की ताजपोशी में वो विधायक समर्थन करेंगे लेकिन उससे पहले नीतीश कुमार को इसकी भनक लग गयी और इसका भंडाफोड़ हो गया।
ललन सिंह मौजूदा समय में मुंगेर से सांसद है और ऐसी जानकारी मिल रही है की ललन सिंह को ये डर था की इस बार उनके लिए चुनाव जीतना बहुत मुश्किल है। यही कारण है की राजद के साथ डील करके वह तेजस्वी को मुख्यमंत्री बना देते और खुद राजद के ही टिकट से राज्यसभा में नामित हो जाते। तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद के बदले राज्यसभा की सीट में हिस्सेदारी को लेकर ललन सिंह ने ये पूरा प्रपंच गढ़ा था।
नीतीश के पास अब मात्र NDA विकल्प
मौजूदा समय में जदयू के पास विधानसभा में बहुत कम सीटें है। जदयू के मुकाबले राजद और बीजेपी के पास अच्छी खासी सीट है। ऐसे में अगर नीतीश कुमार राजद से अलग भी होते हैं तो बीजेपी के अलावा उनके पास दुसरा कोई विकल्प नहीं है। ऐसी चर्चा होने लगी है की नीतीश अब NDA में वापसी करने का सोच रहे हैं। लोकसभा चुनाव में अभी कुछ ही महीने बचे है और ख़ास मौके पर अगर नीतीश कुमार राजद से अलग हो जाते हैं तो स्वाभाविक रूप से वह INDIA गठबंधन से भी अलग हो जाएंगे। ऐसे में बीजेपी ही एक मात्र विकल्प दिखाई देता है।
बिहार में बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। बीजेपी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी का भी उतना जनाधार नहीं है। यही कारण है की बिहार में बीजेपी के पास नीतीश के साथ जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। ऐसे में नीतीश मज़बूत स्थिति में दिखाई देते हैं और यही कारण है की कम सीट होने के बावजूद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद मिलता रहा है। राजद के साथ होने पर भी वह मुख्यमंत्री हैं और जब वह बीजेपी के साथ थे तब भी मुख्यमंत्री पद उन्ही के पास था।
बिहार में पार्टी बदलने की सुगबुगाहट को लेकर नए समीकरण बनने शुरू हो गए होंगे। ऐसे में तेजस्वी यादव क्या अपने विदेशी दौरे को रद्द करेंगे? क्या नीतीश कुमार अगले कुछ दिनों में राजद से गठबंधन तोड़ लेंगे? आने वाले कुछ हफ्ते या दिन में इस बात का खंडन भी हो जाएगा। क्योंकि इससे पहले जब ललन सिंह के इस्तीफे की बात चली थी तब नीतीश इस बात को नकार रहे थे लेकिन आज के फैसले के बाद ऐसी पूरी उम्मीद है की नीतीश कुमार अंदर ही अंदर कुछ करने की सोच रहे हैं।
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