‘बंगाल कांग्रेस बीजेपी की दलाल’ – TMC नेता कुणाल घोष, INDIA गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं?
INDIA महागठबंधन अब धीरे-धीरे उसी स्थिति में पहुँचती दिखाई दे रही है जिसकी घोषणा विपक्षी पार्टियों ने कर दी थी। सीट बंटवारे को लेकर आपसी फुट के बीज अंकुरित होने लगे हैं। इसके पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल में अपने सीटों को लेकर स्पष्ट कर दिया था की राज्य में सभी सीटें क्षेत्रीय दलों को ही मिलनी चाहिए। इसी कड़ी में एक बड़ी बात मालुम हो रही है की बंगाल के TMC नेता ने बंगाल कांग्रेस को बीजेपी का दलाल बताया है।
क्या है मामला ?
TMC के नेता कुणाल घोष ने सीट बंटवारे को लेकर बताया है की उनके पास अभी तक कोई अपडेट नहीं आई है। TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी इन सभी पर अपनी नज़र बनाये हुए हैं और गठबंधन पर अंतिम फैसला वही लेंगी। इसके बाद पत्रकारों को सूचित किया जाएगा। इसके बाद उन्होंने बंगाल कांग्रेस और बीजेपी की तीखी आलोचना की है और कहा की आप देखेंगे की दिल्ली कांग्रेस और बंगाल कांग्रेस के रुख में साफ़ अंतर है। बंगाल में राज्य कांग्रेस दलाल की भूमिका निभा रही है। गौरतलब है की कांग्रेस और TMC पार्टियां INDIA गठबंधन का हिंसा है। ऐसे में इनके बीच इस तरह का मतभेद गठबंधन की भूमिका पर संदेह पैदा करता है।
हालांकि अभी तक कुणाल घोष के बयान के बाद किसी की कोई प्रतिक्रया सुनने को नहीं मिली है। उम्मीद है इसपर सभी नेता अपनी-अपनी प्रतिक्रया ज़रूर देंगे। फिलहाल कांग्रेस के ऊपर ये सवाल उठना लाज़मी है की अगर TMC इंडिया गठबंधन का हिस्सा है तो बंगाल राज्य कांग्रेस ऐसा क्या कर रही है जिसके कारण कुणाल घोष ने आपत्ति जताई है। उन्होंने ये भी कहा है की दिल्ली कांग्रेस और बंगाल कांग्रेस में साफ़ अंतर दिखाई देता है। ऐसे में ये अंतर क्या है और क्यों हैं इसका जवाब उन्होंने नहीं दिया है।
जानकारी के अनुसार अगले दो से तीन दिनों में कांग्रेस अपनी आतंरिक बैठक करके इसपर विचार करेगी। इसके बाद सभी क्षेत्रीय दलों के साथ चर्चा की जाएगी। ये चर्चा पीएम पद की दावेदारी या गठबंधन के संयोजक के लिए नहीं बल्कि सीट शेयरिंग के लिए की जाएगी। सभी दलों की आपसी सहमति के बाद शीर्ष नेतृत्व इसपर फैसला करेगा।
किस पार्टी के लिए चुनौती होगी सीट शेयरिंग
मौजूदा समय में देखे तो इस वक़्त कांग्रेस के अलावा सारी पार्टियां बेहतर स्थिति में दिखाई देती है। चूँकि कांग्रेस एक बड़ी पार्टी रही है और मौजूदा समय में कांग्रेस के पास उतनी सीटें नहीं बची हैं तो इस वक़्त क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस के ऊपर आ सकती हैं। मजबूरन कांग्रेस को क्षेत्रीय पार्टियों की बात भी माननी पड़ सकती है। ऐसे में कांग्रेस के पास कुछ ही सीटें होंगी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए। वहीं क्षेत्रीय पार्टियां जहां मज़बूत हैं, उस स्थिति में क्षेत्रीय पार्टियों को बढ़ावा देने से कांग्रेस के पास कुछ नहीं बचेगा और ऐसी स्थिति में कांग्रेस इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने के बाद भी बाकी पार्टियों की पोजीशन में ही दिखाई देगी।
अगली बैठक होने में अभी कुछ दिन बाकी है और अभी से जिस तरह सीट शेयरिंग को लेकर विवाद गहराता दिख रहा है, ऐसे में बैठक वाले दिन बड़ी खबर भी आ सकती है। हालांकि तमाम पार्टियां यही चाहेंगी की बात के ज़रिये इसको सुलझा कर पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव में प्रचार आरम्भ कर दिया जाए।
कांग्रेस भी पूरी तैयारी के साथ ‘भारत न्याय यात्रा’ निकालने के लिए तैयार है। ऐसे में सीट बंटवारे को लेकर स्थिति साफ़ होने से शायद कांग्रेस के न्याय यात्रा में उन्हें सहायता मिलेगी। पिछली बैठक में ममता बनर्जी के पीएम पद के दावेदारी के लिए खड़गे का नाम प्रस्तावित करने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू यादव बिखर गए थे।