‘चीन के साथ सामान्य रिश्ते असंभव अगर……..’ – भारत-चीन सम्बन्ध पर एस जयशंकर का बयान
चीन के साथ भारत के रिश्ते ना तो बेहतर कहे जा सकते हैं और ना ही बदतर। मौजूदा समय में दोनों देशो के बीच रिश्ते स्थिर दिखाई दे रहे हैं। इसी विषय पर बात करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बयान दिया है। महाराष्ट्र के नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान भारत-चीन संबंधों पर उन्होंने बयान दिया। उन्होंने खुद ये बात कबूली है की पिछले कुछ सालों में भारत-चीन के बीच सम्बन्ध ना ही अच्छे कहे जा सकते हैं और ना ही बुरे।
क्या कहा एस जयशंकर ने?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों में अपने बयान की शुरुआत ना ही अच्छे और ना ही बुरे से की। उन्होंने आगे कहा,“इसका मुख्य कारण ये हैं की हमारे बीच में कुछ एग्रीमेंट्स थे लम्बे समय से और वो स्पष्ट रूप में लिखित थे। निर्धारित सीमा के अंतर्गत अगर स्थित स्पष्ट ना हो तो पडोसी देशों के बीच रिश्ते अक्सर खराब होते हैं। ये बात दोनों देशों को पता थी। जब से हमारे रिश्ते सामान्य होने लगे हैं, 1962 में युद्ध हुआ था उसके बाद 14 साल लग गए एक राजदूत भेजने में। उसके बाद लगभग 26 सालों के बाद पहले प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन गए।
1993 और 1996 में 2 समझौते हुए थे उसके बाद भी हुए थे, इसका निचोड़ ये था की दोनों तरफ जो LAC (Line Of Actual Control ) है वहाँ सेना नहीं लाएंगे दोनों देश। और अगर कोई मूवमेंट भी होगी एक तय सीमा से ज़्यादा तो वह दूसरे देश को बताएंगे। अब 2020 में चीन ने इसका उल्लंघन किया। समझौता होने के बावजूद बड़ी संख्या में चीन ने अपने सेना LAC के पास रखी। उसके बाद गलवान वैली वाली घटना हुई। उसी दौरान Covid बी चल रहा था जिसके बावजूद भारत ने भी बड़ी संख्या में उन जगहों पर सेना को मूवमेंट के लिए भेजा।
भारत ने तो ये किया नहीं है पर अगर हमारी सीमा में फ़ौज आये तो हमें भी अपना बचाव देखना ही होगा। इसके लिए हमने चीन के विदेश मंत्री को कहा है की जब तक आप बॉर्डर में इसका निराकरण नहीं निकालेंगे और अगर दोनों देश की सेनाएं आमने-सामने ऐसे ही रहेंगे तो तनाव रहेगा। आपको ये अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए की बाकी रिश्ते जो है वो सामान्य तरीके से चलेंगे। वह असंभव है। ऐसा नहीं की आप यहां झगड़ा करे और दूसरी तरफ व्यापार करें। हमारी बातचीत जारी है, इस मुश्किल स्थिति का नतीजा जल्दबाज़ी में नहीं निकल सकता। हम इस पर लगे हुए हैं।”
विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने जवाब और जानकारी के लिए जाने जाते हैं। चाहे बात चीन की हो या पडोसी देश पाकिस्तान की, उन्हें दुनिया के बारे में भलीभांति जानकारी है। यही कारण है की उनके जवाब देने के अंदाज़ से एक बार रूस ने भी इनकी तारीफ़ की थी। चाहे मामला यूरोप का हो या अमेरिका का, ये अक्सर भारत को एक मज़बूत स्थिति में रखकर बेहतर जवाब देते आये हैं। यही कारण है की एस जयशंकर लम्बे समय से विदेश मंत्री का कार्यभार संभाल रहे हैं।
एक विदेशी पत्रकार के यूरोप को लेकर सवाल पूछने पर एस जयशंकर ने कहा था की यूरोप की प्रॉब्लम आपको विश्व की प्रॉब्लम लगती है लेकिन एशिया की प्रॉब्लम यूरोप की प्रॉब्लम नहीं लगती है। भारत और चीन के बीच सम्बन्ध 2020 के बाद से स्थिर होते चले गए हैं और उसके बाद भारत के अंदर चीन के बहुत सारे सोशल मीडिया एप्लीकेशन को भी सुरक्षा का हवाला देते हुए भारत में बैन कर दिया गया था। जिसके बाद से चीन और भारत के रिश्ते और बिगड़ गए थे। हालांकि विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान के अनुसार दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है और ये कब तक नतीजे पर पहुँच पाएगा उसका इंतज़ार है?