कुछ हफ़्तों पहले कानपूर, उत्तर प्रदेश में “I Love Muhammad” का एक पोस्टर लगाया गया। वो दिन मिलाद-उन-नबी का दिन था और उसी के उपलक्ष्य में इस तरह का पोस्टर एक इलाके में लगाया गया था। उसके बाद से ये मामला गरमा गया और शिकायत करने के बाद पुलिस वहाँ पहुंचकर उस पोस्टर को उतरवा देती है और हवाला देती है की इससे दूसरे पक्ष को दिक्कत हो सकती है। उसी के बाद ये पूरा मामला सोशल मीडिया पर उठाया जाता है और रातों रात ये ट्रेंड भी कर जाता है। उसके बाद से जितने सारे विपक्ष के नेता, सेलिब्रिटी और अन्य लोग इसके पक्ष और विरोध में सवाल-जवाब करने लग जाते हैं।
38 से ज़्यादा FIR
अब तक इस मामले में देशभर के अंदर 21 या फिर उससे ज़्यादा एफआईआर किये गए हैं जिनसे अब तक 38 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है और लगभग 1300 अन्य लोगों को भी इसमें दोषी बनाया गया है। इसमें सबसे ज़्यादा एफआईआर उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में हुए हैं। गौरतलब है की इन तीनों प्रदेशों में बीजेपी की सरकार है विरोधी राजनितिक पार्टियां इसी को लेकर बीजेपी को घेरती दिखाई दे रही हैं। बीते दिनों कांग्रेस की नेत्री ने भी इस विषय पर किसी भी तरह की परेशानी न होने का हवाला दिया था। उनका कहना था की अगर “जय श्री राम” बोलने में दिक्कत नहीं तो फिर “आय लव मुहम्मद” में किस तरह की परेशानी?
गुजरात में हुई हिंसा
इस पुरे मामले पर अब दो पक्ष बिलकुल आमने-सामने दिखाई दे रहे हैं और इसी को लेकर गुजरात के बहियल में हालात हिंसाग्रस्त होते दिखाई देते हैं। हालांकि पुलिस ने उसपर अपना नियंत्रण कर लिया है लेकिन इस तरह की हिंसा बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। जानकारी के अनुसार गुजरात में हुई इस हिंसा में दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है और स्थिति बिगड़ी हुई मालूम होती है। गुजरात के बहियल में इस तरह की हिंसा तब भड़क गयी जब एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर “आय लव मुहम्मद” बोलने वालो को गलत ठहराया और “आय लव महादेव” का ट्रेंड चलाने को कहा। इसी के बाद से स्थिति बिगड़ गयी और प्रशासन को इसमें दखल देना पड़ा। हालांकि अभी भी स्पष्ट जानकारी प्रशासन की ओर से नहीं आई है की मामला क्यों बिगड़ा और हिंसा की स्थिति क्यों उत्पन्न हुई।
“जय श्री राम” और “आय लव मुहम्मद”
इस तरह एक धार्मिक या मज़हबी नारों से अक्सर दुसरा पक्ष आहत होता है और उसके आहत होने का सबसे बड़ा कारण ये होता है की उसे इस तरह के नारों को बोलकर उकसाया जाता है। अक्सर ऐसा होता आया है, चाहे वह कोई पर्व या त्यौहार क्यों न हो। लेकिन इस तरह के धार्मिक नारों से किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। क्योंकि ये नारे अक्सर किसी न किसी ख़ास उत्सवों पर देखने या सुनने मिलता है और इसमें कोई बुराई नहीं है। ज़रूरत है लोगों को समझने की और उसे अपनाने की। लेकिन खुद को बेहतर साबित करने की होड़ में कुछ शरारती या उन्मादी तत्व के लोग इस तरह के हिंसा और नफरत को बढ़ावा देते हैं।
गौरतलब है की इससे पहले भी हनुमान जी के एक स्टीकर जो अक्सर उनके भक्त अपनी गाडी पर लगाते हैं, उसको लेकर दूसरे पक्ष को लोगों को परेशानी होती थी। जबकि वो स्टीकर उनकी खुद की गाड़ी पर लगाए हुए थे जो उनकी अपनी है। उसके बावजूद लोगों ने उस स्टीकर को लेकर इतना हो हल्ला मचाया। अब गलती किसकी है और किसकी नहीं, ये कहना जल्दबाज़ी होगी।
