सोनम वांगचुक को लेकर पुरे देश में हलचल मची है। एक तरफ सरकार आक्रामक रुख अपनाते हुए दिखाई दे रही है वहीं विपक्षी पार्टियां खुल कर सोनम वांगचुक का समर्थन कर रही है। देश भर में इनके प्रति सही और गलत जैसी मिली-जुली धारणाएं है। ऐसे में इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे की क्या सही है और क्या गलत? क्या कारण है की सरकार इनकी बात नहीं मान रही और क्या कारण है की ये सरकार के विरोध में प्रोटेस्ट करते दिखाई देते हैं?
सोनम वांगचुक देश भर में तब प्रसिद्द हुए थे जब आमिर खान की फिल्म 3 इडियट्स आई थी। इस फिल्म में सोनम वांगचुक जैसे इंजीनियर या वैज्ञानिक का जो किरदार है वह आमिर खान ने निभाया था। हालांकि कहानी थोड़ी बनावटी थी लेकिन किरदार असली था। उसके बाद से वो लगातार चर्चा में बने रहे। सोशल मीडिया पर अच्छी फैन फॉलोइंग है और लोग उनकी बातों को बहुत ही संजीदगी से सुनते हैं। वह एक एक्टिविस्ट के तौर पर जाने जाते हैं और इंजीनियर होने के साथ-साथ लद्दाख में शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए भी जाने जाते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
वैसे तो सोनम वांगचुक अक्सर प्रदर्शन करते हुए दिखाई दे रहे थे। लेकिन सितम्बर 2025 में यह प्रदर्शन थोड़ा विशाल होता गया और जनसभाएं भी काफी बड़ी होने लगी। इस प्रदर्शन का कारण था की लद्दाख को विशेष संवैधानिक दर्जा मिले (छठी अनुसूची) और उसके अलावा रोजगार की भी व्यवस्था की जाए। जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के बाद लद्दाख को छठी अनुसूची का वादा किया गया था जो अधूरा रह गया और उसी वादे को पूरा करने को लेकर सोनम वांगचुक प्रदर्शन कर रहे थे।
सरकार ने लगाए आरोप
सरकार ने सोनम वांगचुक पर विदेशी फंडिंग लेने को लेकर आरोप लगाए हैं और उनकी संस्था SECMOL पर ये आरोप लगा है। इसी को देखते हुए भारत सरकार ने SECMOL और FCRA जैसी संस्था के लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। उसके अलावा सरकार ने उनपर हिंसा बढ़ाने और लोगों को उकसाने का भी आरोप लगाया है। गौरतलब है की लद्दाख प्रशासन की ओर से सोनम वांगचुक को एक ज़मीन दी गयी थी और ये उनकी HIAL नामक संस्था के लिए थी, जो की प्रशासन ने वापस ले ली है। ज़मीन वापसी को लेकर सरकार ने ये आरोप लगाया है की वांगचुक ने संस्था की लीज़ की शर्तें न तो पूरी की और न ही कोई भुगतान किया और न ही तय समय पर निर्माण कार्य पूरा हुआ।
सोनम वांगचुक ने क्या कहा?
सरकार के विदेशी चंदे के आरोप में सोनम ने बताया की वो कोई विदेशी फंडिंग नहीं थी बल्कि सरकार की ओर से लगाए गए सारे आरोप ही झूठे हैं। सोनम ने कहा की उन्हें बस ‘बलि का बकरा’ बनाया जा रहा है ताकि लोगों का ध्यान असली मुद्दे से हटाया जा सके। विदेशी फंडिंग असल में एक फीस थी जो जानकारी साझा करने के उपलक्ष्य में मिली थी। दूसरी तरफ किसी भी हिंसा का समर्थन उन्होंने नहीं किया है और बड़े ही शांतिपूर्ण तरीके से अपने आंदोलन को चला रहे हैं।
क्या है छठी अनुसूची?
जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने के बाद भारत सरकार ने लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की बात कही थी। इसका मतलब ये होता है की उस विशेष इलाके को विशेष स्वायत्तता दी जाए ताकि वह अपने पर्यावरण, संस्कृति और ज़मीन की सुरक्षा कर पाएं। इसके तहत प्रशासन के लिए स्वायत्त जिला परिषदों (ADC) के माध्यम से प्रावधान करती है, जिसमें इन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के सांस्कृतिक और सामाजिक अधिकारों की रक्षा की जाती है। ये परिषदें भूमि, वन, ग्राम प्रशासन, विवाह और सामाजिक रीति-रिवाजों जैसे विषयों पर कानून बनाने का अधिकार रखती हैं, और उन्हें स्वशासन की शक्ति प्रदान करती हैं।
कौन सही कौन गलत?
इतनी सारी बातें जानने के बाद इस बात पर निष्कर्ष ये निकलता है की सोनम वांगचुक अपने क्षेत्र को किये वादे को पूरा करने को लेकर सरकार से लड़ रहे थे और संवैधानिक रूप से ये सही सिद्ध होता है। रही बात उनके विदेशी फंडिंग और अन्य विषयो की तो ये स्वतंत्र जांच का विषय है, अगर सरकार किसी तरह की मनमानी करती भी है तो न्यायालय में कुछ भी सिद्ध करना इतना आसान नहीं होगा। बाकी सोनम वांगचुक ने अपने बातें रख दी हैं। दूसरी तरफ देश भर से उनके समर्थन में आवाज़ें उठ रह हैं। अब देखना है की ये मामला कहाँ तक जाता है?
