सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर “रामद्रोही मोहन यादव” ट्रेंड हो रहा है। जबकि ये वही मोहन यादव हैं जो की मध्यप्रदेश के मुख्यम्नत्री हैं और उस भाजपा पार्टी के नेता हैं जो देश भर में राम मंदिर आंदोलन करवाने को लेकर जानी जाती है। अब मामला ये है की मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से ओबीसी आरक्षण को लेकर न्यायालय में एक प्रतिवेदन दाखिल करवाया जाता है जिसमे भगवान् श्री राम को दलितों के विरोधी के रूप में उल्लेखित किया गया है। इसी बात को लेकर जब सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी पहुंची तब ये मामला ट्रेंडिंग करने लगा और उसके बाद मामला कुछ ऐसा उठा की भारतीय जनता पार्टी के मध्यप्रदेश वाले X अकाउंट से इसकी सफाई भी पेश की गयी।
क्या कहा भाजपा ने?
भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले को तूल पकड़ता देख सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया और इस बाबत जानकारी साझा करते हुए लिखा की उक्त प्रकरण जिसको लेकर सोशल मीडिया पर आरोप लगाया जा रहा है वह इनके सरकार में नहीं बल्कि 1983 के समय साझा किया गया था और उस वक़्त इनकी सरकार नहीं थी। इसी को लेकर भाजपा समर्थित लोगों ने भी सोशल मीडिया X पर उनके समर्थन में “एमपी अगेंस्ट फेक न्यूज़” नामक ट्रेंड चलाया जो नहीं चल पाई।
राज्य सरकार के द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में ओबीसी और अन्य दलित जातियों को केंद्र में रखा गया है वहीं दूसरी तरफ भगवान् श्री राम को लेकर जिस तरह से दलित विरोधी व्यक्तित्व का चित्रण किया गया है वह अपने आप में संदेहास्पद और विवादित है। हालांकि भाजपा ने तो अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है लेकिन सोशल मीडिया पर लोग भाजपा को सवर्ण विरोधी बताने लगे हैं। दूसरी तरह वोट की राजनीती को लेकर हिन्दू विरोध करने वाला बता रहे हैं। इसको लेकर अभी तक मुख्यमंत्री मोहन यादव की ओर से सीधा जवाब नहीं आया है और अब देखना है की हिन्दुओं की पार्टी कहलाने वाली भाजपा इस तरह की ग़लतफ़हमी या आरोप से कैसे उबरती है।
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