कश्मीर पर पाकिस्तान का साथ दे रहा अजरबैजान, भारत-आर्मीनिया की हथियार डील पर भड़का अजरबैजान

कश्मीर पर पाकिस्तान का साथ दे रहा अजरबैजान, भारत-आर्मीनिया की हथियार डील पर भड़का अजरबैजान

जिस तरह विश्व में हिन्दुस्तान-पाकिस्तान, इजराइल-फिलिस्तीन और नार्थ कोरिया- साउथ कोरिया की लड़ाई है। वैसे ही कुछ गहरी दुश्मनी अजरबैजान की आर्मीनिया के साथ है। ऐसे में भारत के साथ आर्मीनिया की हुई हथियार डील के कारण अजरबैजान भड़क गया है और ऐसे में उसने भारत के दुश्मन देश पाकिस्तान की बोली बोलनी शुरू कर दी है।

आर्मीनिया के साथ भारत की हुई डील के कारण अजरबैजान के साथ रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं। नवम्बर तक भारत में रहे अजरबैजान के राजदूत ने कहा है,”पिछले 30 सालों में कश्मीर पर अजरबैजान की स्थिति नहीं बदली, बिलकुल नहीं बदली। यह वैसी ही है जैसे पहले हुआ करती थी। भारत और पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का सम्मान करते हुए इस मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहिए। यही हमारी स्थिति है और पिछले 30 सालों में इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। “

इसके पहले 2020 में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमन्त्री इमरान खान के साथ एक बैठक में अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने काश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन किया था। इस मुद्दे पर अजरबैजान के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा था, “मैं बताना चाहता हूँ की 21 जनवरी 2020 को दावोस में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ बैठक के दौरान अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम ने कहा की अजरबैजान लगातार जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता है। “

अजरबैजान और आर्मीनिया की दुश्मनी दशकों पुरानी

कई दशकों से अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच नागॉर्नो-काराबाख पर लड़ाई चल रही है। दोनों देश इस जगह पर अपने एकाधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 2020 में इस हिस्से को लेकर स्थिति और बिगड़ गयी और दोनों देश की सेनाएं युद्ध के मैदान में उतर आई। अजरबैजान इस लड़ाई में जीत गया और विवादित हिस्से पर 2023 में पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया।

भारत से क्यों भड़का आर्मीनिया

आर्मीनिया ने भारत और फ्रांस से हथियारों की बहुत बड़ी डील की थी। इसी साल कुछ महीने पहले इस डील को मंजूरी मिली थी। इस डील के अनुसार एयर डिफेन्स सिस्टम और बख्तरबंद वाहनों सहित अन्य हथियारों की खरीद की गयी थी। इसी डील को लेकर अजरबैजान के राष्ट्रपति खफा हो गए। अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम ने कहा की भारत और फ्रांस मिलकर आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। दोनों देश आर्मीनिया को भ्रम दे रहे हैं की हथियारों के बल पर वो काराबाख को वापस ले सकते हैं।

पाकिस्तान और तुर्की के साथ अजरबैजान भी हो गया शामिल

पाकिस्तान और तुर्की के रिश्ते शुरू से ही उतने अच्छे नहीं हैं। पाकिस्तान के साथ भारत का सीमा विवाद भी जारी है। तुर्की भी इस मसले पर पाकिस्तान के साथ ही खड़ा होता दिखाई देता है। आर्मीनिया के साथ हुई हथियारों की डील को लेकर ही अजरबैजान ने भी पाकिस्तान और तुर्की का रास्ता पकड़ लिया है। अजरबैजान के साथ पाकिस्तान और तुर्की के अच्छे सम्बन्ध हैं। दूसरी और आर्मीनिया भारत के साथ अपने रिश्ते को मज़बूत करने में लगा है। भारत ने भी हथियारों की डील कर के आर्मीनिया का समर्थन किया है। ऐसे में अजरबैजान का भारत विरोध स्वाभाविक मालुम होता है।

साल 2020 से ही भारत की सरकारी और निजी कंपनियां आर्मीनिया की मदद कर रहे हैं। इनमे हथियारों का पता लगाने वाला रडार सिस्टम, मल्टी बैरल राकेट लॉन्चर, गोला बारूद के अलावा कई अत्याधुनिक हथियार की सप्लाई की जा रही है। इसी विषय में अजरबैजान के निवर्तमान राजदूत अशरफ ने कहा था,“मैं यह भी कहना चाहता हूं कि भारत सरकार को आर्मेनिया को हथियार बेचने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. भारत के हथियार आर्मेनिया में विद्रोही ताकतों तक पहुँच रहे हैं जो हमारे क्षेत्र की शान्ति के लिए हानिकारक है। “

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