जब सैम बहादुर ने इंदिरा गांधी को कहा ‘स्वीटी’, जाने उनसे जुड़े रोचक किस्से

जब सैम बहादुर ने इंदिरा गांधी को कहा ‘स्वीटी’, जाने उनसे जुड़े रोचक किस्से

सैम मानेकशॉ जिन्हे दुनिया “सैम बहादुर” के नाम से जानती है। इनका जन्म 3 अप्रैल 1914 को ब्रिटिश भारत के अमृतसर में एक पारसी परिवार में हुआ था। भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में ये सन 1932 को शामिल हुए थे और उसके ठीक 2 साल बाद 4/12 फ्रंटियर फाॅर्स की रेजिमेंट में भर्ती हुए। इन्हे 59 साल की उम्र में फील्ड मार्शल की उपाधि दी गयी थी। सन 1972 में इन्हे पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया जिसके ठीक 1 साल बाद वह सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो गए। सैम को गोरखा राइफल के सैनिकों द्वारा ‘सैम बहादुर’ नाम दिया गया था और तभी से इन्हे सैम बहादुर के नाम से भी जाना जाता है।

इनकी बहादुरी की गाथा के अनेकों किस्से हैं लेकिन उन सब मे 1971 का वह युद्ध जिसमे पकिस्तान को हराना और बांग्लादेश जैसे देश को अलग करवाने का श्रेय इन्हे ही जाता है। इन्होने अपनी पूरी ज़िन्दगी में 5 युद्ध लड़े हैं और ये भारत के पहले फील्ड मार्शल भी रहे हैं। ये भारतीय सेना के पहले 5 स्‍टार जनरल और पहले ऑफिसर जिन्‍हें फील्‍ड मार्शल की रैंक पर प्रमोट किया गया था।

फ़ौज में क्यों हुए शामिल ?

इनका जन्म ब्रिटिश इंडिया के अमृतसर में हुआ था और इनके पिता पेशे से डॉक्टर थे। ये भी अपने पिता की तरह एक डॉक्टर ही बनना चाहते थे जिसके लिए वो लंदन चले गए। लेकिन सैम के अपने इस फैसले से इनके पिता ने इन्हे उम्र में छोटे होने की बात कही और इसी गुस्से की वजह से इन्होने इंडियन मिलिट्री में शामिल होने के लिए फॉर्म भर दिया। उसके बाद इनका चयन हो गया और इनकी जीवनी एक सैनिक के रूप में उस दिन से शुरू हो गयी।

Sam Manekshaw died | This Day in History

जब पीएम को कहा ‘स्वीटी’

सैम मानेकशॉ या सैम बहादुर अपने बेबाक जवाब के लिए जाने जाते हैं और ऐसा कई बार हुआ है जब इनके जवाब से कई लोग असहज हो गए हो। ऐसा ही एक किस्सा है सन 1971 से जुड़े युद्ध का जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से लड़ाई के लिए तैयार रहने को लेकर सवाल किया। इसी बात के जवाब में सैम मानेकशॉ ने कहा था, ‘आई एम ऑलवेज रेडी, स्वीटी। ‘ सैम मानेकशॉ द्वारा कही गयी ये बात उन दिनों सुर्खियां बनी हुई थी जिसे हम आज भी याद करते हैं।

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जब इंदिरा का कर दिया था विरोध

1971 की लड़ाई में इंदिरा चाहती थी की इंडियन आर्मी मार्च में ही पाकिस्तान पर चढ़ाई कर दे, लेकिन सैम ने इसके लिए इंकार कर दिया क्योंकि उस समय भारतीय सेना हमले के लिए तैयार नहीं थी। इस बात के कारण इंदिरा गांधी नाराज़ भी हो गयी थी।

मानेकशॉ ने पूछा की अगर आप युद्ध जीतना चाहती हैं तो हमें 6 महीने का समय दीजिये और मैं आपको गारंटी देता हूँ की जीत हमारी ही होगी। और उसके बाद जब 3 दिसंबर को युद्ध शुरू हुआ तो एक-एक करके भारतीय सेना जो सैम मानेकशॉ की अगुवाई में जीत के लिए आगे बढ़ रही थी, 16 दिसंबर को ईस्ट पाकिस्तान को आज़ाद कराकर एक नया देश ‘बांग्लादेश’ बना देती है। वहीं इस जंग में रिकॉर्ड 93 हज़ार पाकिस्तानी सैनिक एक साथ आत्मसमर्पण के समझौते पर हस्ताक्षर करती है और ये पुरे विश्व में एक सबसे बड़ा उदाहरण है भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम का। किसी भी युद्ध में इतने सैनिकों ने कभी भी आत्मसमर्पण नहीं किया है।

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जब लगी थी 7 गोलियां फिर भी ज़िंदा बच गए सैम बहादुर

एक सैनिक की ज़िन्दगी में कई लम्हे ऐसे भी आते हैं जब वो मौत की दहलीज़ को छूके वापस आता है। ऐसा ही कुछ हुआ था सैम मानेकशॉ के साथ जब वह द्वितीय विश्व युद्ध के समय लड़ाई पर थे और उन्हें 7 गोलियां लगी थी। उस दौरान सबने उनके बचने की उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन डॉक्टर ने समय रहते उनकी जान बचा ली और वो मौत से जंग जीत गए।

From the archives: Field Marshal Sam Manekshaw, the gentleman soldier

जब उधार वापसी में दिया ‘बांग्लादेश’ पाकिस्तानी जनरल याहिया खान ने

दोस्तों ये किस्सा भी बड़ा रोचक है और ये बात है आज़ादी मिलने से ठीक कुछ दिनों पहले की जब सैम मानेकशॉ और पाकिस्तानी जनरल याहिया खान दिल्ली के सेना मुख्यालय में तैनात थे। याहिया खान को सैम की मोटरबाइक बहुत पसंद थी और वो उसे खरीदना चाहते थे जबकि सैम अपनी उस मोटरबाइक को बेचना नहीं चाहते थे।

विभाजन के बाद जब याहिया खान पकिस्तान जाने का फैसला करते हैं तो सैम उस मोटरबाइक को याहिया खान को बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं और उसकी कीमत लगती है 1000 रुपये। याहिया उस मोटरबाइक को लेकर पाकिस्तान तो चले जाते हैं और वादा करते हैं की वह जल्द ही पैसे भिजवा देंगे लेकिन सैम के पास वह चेक कभी नहीं आया।

Yahya Never Paid Me The 1,000 Rupees For My Motorbike, But Now He Has Paid With Half His Country: Sam 'Bahadur' Manekshaw | Indian Defence News

उसके बहुत सालों के बाद जब पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध हुआ तो दोनों अपने-अपने देश के सेनाध्यक्ष थे। लड़ाई जीतने के बाद सैम ने मज़ाकिया लहज़े में कहा “मैंने याहिया खान के चेक का 24 सालों तक इंतज़ार किया लेकिन वह कभी नहीं आया। आखिर उन्होंने 1947 में लिया गया उधार अपना आधा देश देकर चुकाया।”

हालांकि सैम मानेकशॉ के और भी कई रोचक किस्से हैं जिसे हम इसमें एक साथ सम्मिलित नहीं कर सकते और कोशिश करेंगे की उनसे जुडी और भी जानकारियां हम आप तक साझा करें। उनके परिवार से जुडी कुछ जानकारियां निम्लिखित है –

पिता – होर्मुसजी मानेकशॉ (Hormusji Manekshaw) (डॉक्टर)
माता – हिल्ला (Hilla) (गृहिणी)

सैम मानेकशॉ के भाई

फली (Fali ) (बड़े भाई, इंजीनियर)
जैन (Jan) (बड़े भाई, इंजीनियर)
जेमी (Jemi) (छोटे भाई, रॉयल इंडियन एयर फ़ोर्स के चिकित्सा अधिकारी)

सैम मानेकशॉ की बहनें

सिला (Sila) (बड़ी बहन, शिक्षिका)
शेरू (Sheroo) (बड़ी बहन, शिक्षिका)

सैम मानेकशॉ की पत्नी

सिल्लू बोड़े मानेकशॉ

सैम मानेकशॉ की बेटियां

शेरी बाटलीवाला (Sherry Batliwala)
माजा दारूवाला (Maja Daruwala)

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अभी हाल ही में उनकी फिल्म आई है ‘सैम बहादुर‘ जिसमें उनका अभिनय निभाया है अभिनेता विक्की कौशल ने और उस फिल्म में सैम से जुडी कई कहानियां उजागर हुई हैं जिसे आप परदे पर देख कर रोमांचित हो उठेंगे। अगर आपने वह फिल्म देखी है तो उससे जुडी दिलचस्प बातें आप हमसे साझा कर सकते हैं।

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