जीतनराम मांझी का शराब बंदी ख़त्म करने का दावा, बीजेपी ने किया किनारा

जीतनराम मांझी का शराब बंदी ख़त्म करने का दावा, बीजेपी ने किया किनारा

जब से बिहार में शराब बंदी हुई है तब से लेकर आज तक माहौल कभी इस फैसले के पक्ष में रहा है तो कभी विपक्ष में। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने इस फैसले से संतुष्ट नज़र आते हैं वहीं विपक्षी पार्टी के नेता नीतीश के इस फैसले को गलत ठहराते हैं। हम पार्टी प्रमुख जीतनराम मांझी शराब बंदी का विरोध पुरज़ोर तरीके से कर रहे हैं। जीतनराम मांझी ने पहले भी नीतीश के इस फैसले को गरीबों के खिलाफ बताया था और अब वह शराब बंदी को ख़त्म करने के पक्ष में हैं। उनका कहना है की अगर उनकी पार्टी की सरकार बनेगी तो बिहार में शराब बंदी को फिर से बहाल कर दिया जाएगा।

जीतनराम मांझी अपने इस फैसले के पक्ष में ये तर्क दे रहे हैं की इस शराब बंदी के कारण कई गरीब लोग जेल में बंद हैं। थोड़ी सी शराब के चक्कर में उन्हें जेल में ठूंस दिया जाता है। वहीं दूसरी ओर रात होने के बाद कई पुरुष और महिलाएं लाखों रुपये का शराब पी जाते हैं। उन लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। मांझी का कहना है की अगर सरकार उनकी बनती है तो शराब बंदी को ख़त्म किया जाएगा या फिर गुजरात के तर्ज़ पर इसे लागू किया जाएगा।

Nitish Kumar's food being ... ': Jitan Manjhi's startling allegation, a day after tongue-lashing from Bihar CM | India News - Times of India

कुछ दिनों पहले पूर्व सीएम ने दावा करते हुए ये कहा था की बिहार में उनकी सरकार आने के बाद शराब बंदी ख़त्म कर दी जाएगी। इसके बाद बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने पूर्व सीएम के बयान को खारिज करते हुए शराब बंदी के समर्थन में अपनी बात कही। उन्होंने कहा की उनकी सरकार आती भी है तो भी शराब बंदी लागू रहेगी।

हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा, बीजेपी के साथ एनडीए गठबंधन में हैं और ऐसे में उनकी तरफ से एक ही मुद्दे पर दो अलग अलग बयान आना ये दर्शाता है की दोनों के राजनितिक उद्देश्य अलग-अलग हैं। अब दोनों में कौन सही है और किसके साथ जनता अपना विश्वास दिखाती है ये तो समय आने पता चल ही जाएगा। शराब बंदी को लेकर बिहार में आये दिन कई दावे किये जाते हैं और दैनिक रूप से इसको लेकर सघन जांच अभियान भी चलाया जाता है। लेकिन धरातल पल शराब बंदी की पोल खोलती कई वीडियो आपने सोशल मीडिया में ज़रूर देखी होंगी।

 

बिहार में चूहे पी जाते हैं शराब

2016 में शराब बंदी होने के ठीक एक साल बाद बिहार में शराब को लेकर ऐसा मामला आया था जहां 8 लाख लीटर ज़ब्त शराब चूहे पी गए। हुआ यूँ था की पटना एसएसपी मनु महाराज नगर निगम के चुनाव के मद्देनज़र सभी थानेदारों की बैठक बुलाई थी। मनु महाराज ने जब सभी थानेदारों से पूछा की शराब बंदी होने के बाद जितनी भी शराब ज़ब्त हुई है और मालखाने में रखी है उसमे कमी क्यों आ रही है ? इतना पूछते ही थानेदारों ने इसका ठीकरा चूहों पर फोड़ दिया।

 

नकली शराब से मौत

शराब बंदी के कारण बिहार के अलग अलग ज़िलों में कई मौतें हुई। किसी की आँखें चली गयीं तो किसी को कुछ और शारीरिक दोष हो गया वहीं कई लोग नकली और ज़हरीली शराब की भेंट चढ़ गए। ऐसे मामले आये दिन बिहार में देखे सुने जा सकते हैं लेकिन शराब और उसकी तस्करी और अवैध व्यापार न तो रुक पाया है और ना लोग इसे गंभीरता से ले रहे हैं।

आये दिन सोशल मीडिया में कैमरे पर कई शराबी आकर खुले रूप से शराब और उससे जुडी तस्करी का मज़ाक बनाते हैं। कभी मुख्यमंत्री के फैसले पर उनको गाली देते हैं तो कभी हँसते हुए चुपके से निकल जाते हैं। कैमरे पर जिस तरह लोग होम डिलीवरी की बात को कबूलते हैं और शराब मंगवाने का दावा करते हैं उसको देखकर तो यही लगता है की बिहार में शराब बंदी बस एक मज़ाक बन कर रह गयी है।

शराब बंदी के कारण बिहार जैसे राज्य को करोड़ों का राजस्व घाटा उठाना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर कई वस्तुएं देश की राजधानी दिल्ली से भी महँगी हैं। ऐसे में शराब बंदी पर पुनर्विचार करना स्वाभाविक है जिसको लेकर जीतनराम मांझी लगातार नीतीश कुमार को घेर रहे हैं।

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