बिहार में ठेले पर शराब बेचीं जा रही, क्या शराबबंदी पर विचार आवश्यक हो गया है?

बिहार में ठेले पर शराब बेचीं जा रही, क्या शराबबंदी पर विचार आवश्यक हो गया है?

नये साल के मौके पर एक ओर जहां लोग खुशियां मना रहे हैं। परिवार के साथ लोग घूमने निकल रहे हैं। इसी बीच बिहार से एक बड़ी खबर ये आ रही है की बिहार के सीतामढ़ी में खुलेआम सड़क पर शराब बेचीं जा रही है। ठेले पर शराब इस तरह से पडोसी जा रही है जैसे वो कोई साधारण कोल्ड ड्रिंक हो। सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लोग शेयर कर रहे हैं वहीं नीतीश सरकार के ऊपर सवाल किये जा रहे हैं।

यह मामला सीतामढ़ी के बैरगनिया बाज़ार का बताया जा रहा है। पटेल चौक बाज़ार नामक जगह की ये वीडियो बताई जा रही है जिसमे ये दावा किया जा रहा है की ठेले पर रखी हुई बोतल शराब की है और खुलेआम इसकी बिक्री की जा रही है।

चूँकि यह इलाका भारत-नेपाल सीमा से सटा हुआ है और ये बताया भी जा रहा है की जो शराब बेचीं जा रही है वह नेपाल की बनाई हुई शराब है। इस वीडियो में ये भी देखा जा सकता है की लोग उस व्यक्ति से शराब खरीद रहे हैं। उसी के साथ इस दौरान किसी ने इस पूरी घटना की वीडियो बना ली और सोशल मीडिया पर डाल दिया। उसके बाद इस वीडियो का वायरल होना स्वाभाविक था।

इस बारे में स्थानीय पुलिस को जब खबर मिली तो ठेले पर शराब बेच रहे व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने ठेले के साथ शराब को ज़ब्त कर लिया और आगे की कार्रवाई वो कर रहे हैं। ताज्जुब की बात ये है की वीडियो में दिख रहा व्यक्ति अधेड़ उम्र का है और जिस विश्वास के साथ वो शराब बेच रहा है, ऐसा लगता है जैसे उसे खबर ही नहीं की बिहार में पूर्ण-शराबबंदी है। हालांकि सोशल मीडिया पर बिहार में शराब बंदी की पोल खोलती बहुत सारी वीडियो आपको मिल जाएगी मगर इस तरह से बेचने वाली वीडियो बहुत अलग अनुभव देता है।

2016 में शराब बंदी को पुरे तरीके से लागू किया गया था। नीतीश सरकार का ये बहुत बड़ा कदम था और महिलाओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इसको लागू किया। अफ़सोस की बात ये है की बिहार में आज भी खुले आम शराब की डिलीवरी देखी जा सकती है। इसको लेकर बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी सवाल उठाया था और इस पर पुनर्विचार के लिए कहा था।

दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के मुखिया जीतनराम मांझी ने भी नीतीश सरकार को गुजरात मॉडल के तर्ज पर शराबबंदी पर पुनर्विचार के लिए कहा था। उसके अलावा जीतनराम मांझी ने ये भी कहा है की अगर उनकी सरकार बिहार में आएगी तो शराब बंदी को ख़तम कर दिया जाएगा। ऐसे में सवाल ये उठता है की क्या नीतीश सरकार शराब बंदी को पूर्ण तरीके से लागू करवाने में विफल है? और अगर ऐसा है तो अन्य नेताओं की मांग पर इस पर पुनर्विचार करने में देर क्यों की जा रही है?

जब से बिहार में शराब बंदी हुई है तब से लेकर आज तक कई लोगो की जाने जा चुकी हैं। इसका कारण ज़हरीली शराब है जिसके कारण किसी की जान चली गयी तो किसी को शारीरिक दोष ज़िन्दगी भर के लिए मिल गया। दूसरी तरफ विपक्षी नेताओं का ये भी आरोप है की शराब बंदी के केस में कई गरीब और मजदुर बेगुनाह होने के बावजूद जेल की सज़ा काट रहे हैं। शराब पिने वालों को शराब तस्कर बना कर भेजा जा रहा है और जो बेच रहे हैं पुलिस उनको सुरक्षा देकर पैसे कमा रही है। ऐसे में ज़रूरत है नीतीश सरकार को इस पर विचार करने की।

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