लोकसभा चुनाव के पहले अमित शाह का बड़ा फैसला, ‘मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर’ पर लगाया बैन

लोकसभा चुनाव के पहले अमित शाह का बड़ा फैसला, ‘मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर’ पर लगाया बैन

धारा 370 हटने के बाद से जम्मू कश्मीर की स्थिति पहले से बेहतर दिखाई देती है। भारत सरकार के इस कदम की पूरी दुनिया में तारीफ़ भी हो रही है। आज कश्मीर की घाटियों में देश के कोने-कोने से लोग घूमने आ रहे हैं। एक ज़माना था जब कश्मीर के अंदर अराजकता बढ़ी हुई थी और चारों तरफ दहशतगर्दों का राज़ था। आज उसी कश्मीर की वादियों में लोग सुकून की सांस ले रहे हैं।

इसी बीच कश्मीर से एक और बड़ी खबर आ रही है। जानकारी के अनुसार जम्मू कश्मीर की मुस्लिम लीग (मसरत आलम ग्रुप) पर केंद्र सरकार ने प्रतिबन्ध लगा दिया है। इस बारे में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर जानकारी दी है की देश-विरोधी गतिविधियों की वजह से इस संगठन पर UAPA के तहत बैन लगाया गया है। फिलहाल इस संगठन के ऊपर 5 साल का बैन लगाया गया है।

अमित शाह ने अपने ट्वीट में बताया की मुस्लिम लीग के इस संगठन और इनके सदस्यों के द्वारा देश विरोधी गतिविधियों और जम्मू कश्मीर को आतंकी गतिविधियों और इस्लामिक राज स्थापित करने के आरोप में बैन किया गया है। पीएम मोदी और भारत सरकार का संदेश जोरदार और स्पष्ट है कि हमारे राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उसे कानून के पूर्ण क्रोध का सामना करना पड़ेगा।

क्या है मुस्लिम लीग (मसरत आलम ग्रुप)

मसरत आलम भट्ट की अध्यक्षता वाले इस मुस्लिम लीग के द्वारा राष्ट्रविरोधी और पाकिस्तान के समर्थन प्रचार करने के लिए जाना जाता है। इस संगठन का उद्देश्य जम्मू और कश्मीर को भारत से आज़ाद करके अलग करना है। इसका मकसद जम्मू कश्मीर को आज़ाद करके एक इस्लामिक शासन स्थापित करना है और पाकिस्तान में विलय करना है।

यही कारण है की इस संगठन से जुड़े लोग कश्मीर के अंदर अलगाववाद को बढ़ावा देते हैं और आतंकी गतिविधियों में शामिल भी रहते है। सेना पर पथराव और आतंकियों का समर्थन इनके प्रमुख कार्यों में आता है। देश के संविधान का अनादर और गैरकानूनी तरीके से धन जुटाने का आरोप इस संगठन पर लगते रहे हैं। यही कारण है की इस संगठन को चुनाव के ठीक पहले बैन किया गया है ताकि सरकार देश के सामने एक उदाहरण पेश कर सके।

UAPA क्या है ?

Unlawaful Activities Prevention Act (UAPA) के तहत केंद्र सरकार को किसी भी संगठन पर प्रतिबन्ध लगाने का अधिकार है। इसके तहत सरकार किसी संगठन को ‘गैरकानूनी’ या ‘आतंकवादी’ घोषित कर सकती है और इसे ही प्रतिबन्ध कहा जाता है। इस कानून के तहत प्रतिबन्ध लगाए गए संगठन की संपत्ति ज़ब्त की जा सकती है और उसके सदस्यों को अपराधी घोषित किया जा सकता है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अनुसार मौजूदा समय में 42 संगठनो को आतंकी संगठन घोषित किया जा चुका है। इसमें खालिस्तानी संगठन, लश्कर-ए-तैय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद, लिट्टे और अलकायदा जैसे संगठन शामिल है।

BJP को चुनाव में मिलेगा फायदा?

कश्मीर के ऊपर देश में पहले से राजनीति चली आ रही है। यह मुद्दा जितना गरम देश के अंदर है उतना ही बाहर भी है। यही कारण है की पिछली सरकारें इससे अलग ही रही हैं। मौजूदा मोदी सरकार ने जिस तरह धारा 370 और 35A को निरस्त किया है वह बहुत महत्वाकांक्षी मालुम होता है। ऐसे में चुनाव के करीब आकर इस तरह के चरमपंथी संगठनो पर बैन लगाना बीजेपी के लिए ‘मास्टरस्ट्रोक’ साबित हो सकता। एक और जहां राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी हो रही है तो दूसरी ओर भारत सरकार आतंकवादी संगठनो पर धीरे-धीरे नियंत्रण करती दिखाई दे रही है। बीजेपी के लिए इस तरह के पॉलिटिकल स्टंट बहुत काम आ सकते हैं।

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