‘क्या ताली बजाने जाऊंगा अयोध्या?’ पूरी के शंकराचार्य नहीं होंगे राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल
आने वाली 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इसको लेकर सभी प्रकार की तैयारियां चल रही हैं उसी बीच प्रमुख लोगों को निमंत्रण भी भेजा जा रहा है। कई राजनेताओं को निमंत्रण प्राप्त हो चुका वहीं साधू संतों के पास भी निमंत्रण पत्र भेजे जा रहे हैं। इसी कड़ी में ओडिशा के जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती को भी निमंत्रण मिला है। जानकारी के अनुसार वह इस कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं होंगे।
क्या है पूरा मामला?
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने इस निमंत्रण का विरोध जताया है। रतलाम में इसको लेकर उन्होंने बड़ा बयान दिया है। जिसमे उन्होंने कहा की 22 जनवरी को होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा में वह अयोध्या नहीं जाएंगे। हिन्दू जागरण सम्मलेन को सम्बोधित करने के दौरान मीडिया से बातचीत के क्रम में उन्होंने कहा,“मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो मैं वहाँ ताली बजाकर जय-जयकार करूंगा क्या? मेरे पद की भी अपनी मर्यादा है। राम मंदिर में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होना चाहिए। ऐसे आयोजन में मैं क्यों सम्मिलित होऊं?”
इसी से सम्बंधित बातचीत के क्रम में उन्होंने आगे बताया की आज सभी प्रमुख धर्मस्थलों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है। इसी के साथ उन सभी को भोग-विलासिता वाली चीज़ों से जोड़ा जा रहा है जो ठीक नहीं है। उन्होंने अन्य धर्मों के के बारे में कहा की दुनिया में चाहे जिस भी धर्म के लोग अभी हैं, उन सभी के पूर्वज पहले हिन्दू ही थे। शंकराचार्य के इस बयान के बाद ये बात स्पष्ट हो गया की वो आने वाले 22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाएंगे। अब देखना है की इनके इस बयान के बाद आम लोगों और अन्य साधु-संतों का क्या कहना है?
कौन हैं जगन्नथपुरी मठ के शंकराचार्य?
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का जन्म 1943 में बिहार के मधुबनी ज़िले में हुआ था। प्राप्त जानकारी के अनुसार वह दरभंगा के महाराजा के राज-पंडित के बेटे हैं। वर्त्तमान में वह पूरी के श्रीगोवर्धन पीठ के 145वें जगद्गुरु शंकराचार्य हैं। मौजूदा समय में वह ओडिशा के जगन्नाथपुरी मठ में निवास करते हैं।
‘आप के साथ सिर्फ एक व्यक्ति आयोजन में आ सकता है’ – शंकराचार्य
शंकाराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अयोध्या ट्रस्ट की ओर से प्राप्त निमंत्रण पत्र के बारे में मीडिया को बताया। उन्होंने कहा की जो आमंत्रण उन्हें मिला है उसमे ये लिखा है की आपके साथ सिर्फ एक व्यक्ति आयोजन में आ सकता है। इसके अलावा अन्य किसी भी प्रकार का संपर्क हमसे नहीं किया गया, इस कारण वो आयोजन में शामिल नहीं होंगे। आगे उन्होंने बताया की जिस प्रकार की राजनीति हो रही है वह नहीं होनी चाहिए। शंकराचार्य ने धर्म स्थलों पर बनाये जा रहे कॉरिडोर की भी आलोचना की और इसे गलत बताया।
पीएम मोदी होंगे अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान
जानकारी के अनुसार पीएम मोदी को मुख्य यजमान के रूप में निमंत्रण प्राप्त हुआ है। ऐसी उम्मीद की जा सकती है की वह अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे और मूर्ति स्थापना भी करेंगे। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि राम मंदिर बनने से पहले उन्होंने भूमि पूजन में खुद ही यजमान की भूमिका निभाई थी। शायद यही वजह है की पूरी के शंकराचार्य इस बात से उखड़े दिखाई दे रहे हैं। हालांकि इस तरह की खबर अभी तक नहीं आई है की कौन मूर्ति स्थापना करेगा?
बिहार में मंदिर विरोध
बिहार की राजनीति धीरे-धीरे गरम हो रही है। पिछले कुछ दिनों से वहाँ पोस्टर वॉर की लड़ाई चल रही है। जिसमे मंदिर जाने वालों को गलत ठहराया जा रहा है। उसके अलावा राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री भी यह कहते दिखाई दे रहे हैं की अगर आप बीमार होंगे तो मंदिर जाएंगे या अस्पताल? इस तरह के बयान से बिहार की राजनीति धीरे-धीरे गरम हो रही है। मंदिर का विरोध किस पार्टी या नेता को फायदा पहुंचाएगा ये आने वाले चुनाव नतीजों में साफ़ हो जाएगा।