“नीतीश कुमार स्वाहा, फ्री में पीने के लिए छोड़ देंगे” – मांझी के बयान पर बिहार में सियासत तेज़

‘नीतीश कुमार स्वाहा, फ्री में पीने के लिए छोड़ देंगे’ – मांझी के बयान पर बिहार में सियासत तेज़

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतम राम मांझी के दिए गए बयान पर बिहार में सियासत तेज़ हो गयी है। मांझी ने अपने दिए बयान में ये कहा है की अगर उनकी पार्टी जीतकर सरकार बनाती है तो सबको पीने के लिए फ्री में छोड़ देंगे। अब यहां पर क्या पीने की बात कही जा रही है ये समझना उतना मुश्किल नहीं है। जैसा की हम सब जानते हैं की बिहार में शराब बंदी है और मांझी के इस बयान से पार्टियों में हलचल मच गयी है।

क्या था मांझी का बयान?

जीतन राम मांझी ने मीडिया में दिए अपने बयान में कहा है की बिहार में नीतीश कुमार की शराबबंदी में बहुत कमियां हैं। जिसके कारण दलित समाज बहुत कष्ट झेल रहा है। मांझी ने अपने बयान में कहा की वह नीतीश के विरोध में दिल्ली में आनेवाली 5 तारीख को धरना देंगे। इसके साथ ही वहाँ यज्ञ और हवन का आयोजन करवाया जाएगा जिसमे हम सब – ‘नीतीश कुमार स्वाहा, नीतीश कुमार स्वाहा’ कहेंगे।

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मांझी के इस बयान के बाद बिहार में राजनीतिक पार्टियों में हलचल मची है। महागठबंधन के नेताओं ने जीतन राम मांझी के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया है। सभी घटक दल मांझी को उनके पुराने दिन याद दिला रहे हैं। मांझी पहले नीतीश कुमार के साथ ही सरकार में रह चुके हैं और वो मुख्यमंत्री पद की भी शपथ ले चुके हैं। ऐसे में उनका ये बयान महागठबंधन के नेताओं को रास नहीं आ रहा।

महागठबंधन कर रहा विरोध, बीजेपी ने किया समर्थन

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कांग्रेस के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने मज़ाकिया लहज़े में कहा की यह लोकतंत्र की खूबसूरती है की मांझी जैसे लोग सपना देखते हैं की उनकी सरकार बनेगी। दिल बहलाने को ग़ालिब ख्याल अच्छा है। ना उनकी कभी सरकार आएगी और ना ही बिहार में शराबबंदी ख़त्म होगी।

आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा की शराबबंदी की सफलता से भाजपा परेशान है। इसी में जीतन राम मांझी भी शामिल हो गए हैं। मांझी को ये याद होना चाहिए की शराबबंदी की शपथ उन्होंने ने भी ली थी और कहा था की शराबबंदी से सबसे अधिक फायदा दलित समाज को होगा। अब किस मुंह से मांझी शराबबंदी को गलत ठहरा रहे हैं और वापस लेने की मांग कर रहे हैं ?

जदयू के प्रवक्ता सुनील कुमार सिंह ने कहा की मांझी बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। और एक वरिष्ठ नेता होकर वह शराबबंदी ख़त्म करने की बात कर रहे हैं। यह उनके लिए अशोभनीय है। वो जिस समाज से आते हैं उस समाज को शराब की वजह से कितना नुक्सान झेलना पड़ा है। शराबबंदी से उनका समाज तरक्की कर रहा है तो इससे उनको परेशानी हो रही है।

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दूसरी तरफ भाजपा के प्रवक्ता रामसागर सिंह ने अप्रत्यक्ष रूप से माझी के बयान का समर्थन किया है। भाजपा का कहना है की जिस तरह की शराबबंदी इन्होने बिहार में लागू कर रखी है उसकी वजह से लाखों गरीब लोग जेल के अंदर है जबकि शराब माफिया खुले रूप से बिहार में शराब का व्यापार चला रहे हैं।

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बिहार में शराबबंदी है और इसकी वजह से बिहार में आये दिन इसपर राजनीति चलती रहती है। ये भी सच है की इस शराबबंदी की वजह से कई गरीब जेल के अंदर हैं और शराब माफिया शराब का कारोबार करते आ रहे हैं। शराबबंदी बिहार में अभी भी सफल नहीं हो पायी है, हालांकि इसको लेकर नीतीश कुमार समय-समय पर नए नियम लाते रहते हैं लेकिन वह सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रह पाती है जबकि बिहार में लोग खुले रूप से इस कानून का उल्लंघन करते दिखाई देते हैं। शराबबंदी की पोल खोलती कई वीडियोस सोशल मीडिया के द्वारा देखी जा सकती है।

 

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