महुआ मोइत्रा की गई सांसदी, जाने क्या विकल्प है उनके पास ? निशिकांत दुबे से लड़ाई पड़ गई भारी
महुआ मोइत्रा को संसद की सदस्यता से निष्काषित कर दिया गया है। ये फैसला संसद की एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने प्रस्ताव पारित कर लिया। राजनितिक रिवाज़ के अनुसार विपक्ष इसे लोकतंत्र की ह्त्या बता रहा है वहीं दूसरी ओर सत्ता पक्ष आरोप ये लगा रही है की महुआ मोइत्रा ने इस पद का फायदा उठाया है।
कॅश फॉर क्वेरी केस में तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा की सांसदी रद्द की गई है। पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर टीएमसी सांसद महुआ पर दो संगीन आरोप लगाए गए हैं। पहला आरोप ये है की 2019 – 2023 के बीच महुआ मोइत्रा के लॉगिन से, दर्शन हीरानंदानी ने 61 बार सवाल पूछा। दुसरा आरोप ये लगाया गया की महुआ मोइत्रा ने इतनी संवेदनशील जानकारियों वाली लॉग इन आईडी पासवर्ड दूसरे शख्स को दिया। एक लिखित शिकायत जो की बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के द्वारा दी गयी और उसके आधार पर सांसद की एथिक्स कमिटी ने इस पर संज्ञान लेते हुए ये फैसला सुनाया।
क्या विकल्प है महुआ मोइत्रा के पास ?
सांसदी छीनने के बाद अब महुआ मोइत्रा के पास क्या विकल्प बचता है ? संविधान के अनुसार महुआ के पास फिलहाल 5 विकल्प बचे हैं। सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा के अनुसार महुआ इन तीन विकल्पों का प्रयोग कर सकती हैं। पहला, महुआ संसद से अनुरोध कर के इस फैसले पर समीक्षा के लिए अनुरोध कर सकती हैं। दुसरा, मौलिक अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती हैं। तीसरा, फैसले को मान कर अगले 4 महीने बाद फिर से चुनाव लड़ सकती हैं।
इनके अलावा महुआ मोइत्रा निम्न दो विकल्पों का भी इस्तेमाल कर सकती है –
1 महुआ अपने तर्क में यह कह सकती हैं की आचार समिति ने अपने आदेश का उल्लंघन किया है। ये द्वेष या पूर्वाग्रह के साथ आयोजित की गयी थी।
2 महुआ मोइत्रा कई व्यक्तियों के खिलाफ मानहानि के मामले में यह कह सकती हैं की उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मनगढंत या उनकी प्रतिष्ठा को नुक्सान पहुंचाने वाले हैं। इससे ये हो सकता है की एथिक्स कमिटी का फैसला पलट जाए।
महुआ ने पहले भी अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को निराधार बताया है। उनका कहना है की उनके खिलाफ आरोप इतनी देर से ही क्यों लगाया गया ? दर्शन हीरानंदानी ने नकद लेनदेन का न तो कोई आरोप लगाया है न सबूत दिए हैं। इसके अलावा जो भी आरोप उन्होंने लगाए हैं उसके सुबूत नहीं हैं। जबकि दूसरी ओर महुआ ने ये भी माना है की बतौर सांसद संसद से मिले 2 लॉगिन पासवर्ड में से एक उन्होंने हीरानंदानी को दिया था।
निशिकांत दुबे और महुआ मोइत्रा का विवाद
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे पर महुआ मोइत्रा ने इसी साल मार्च के महीने में फ़र्ज़ी डिग्री का आरोप लगाया था। दूसरी ओर निशिकांत दुबे ने संसद की स्थायी समिति की बैठक में ये कहा की महुआ ने उनको ‘बिहारी गुंडा’ कह कर सम्बोधित किया। फिर उसके बाद इसी साल अक्टूबर में निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर संसद में रिश्वत लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया। इसके बाद अक्टूबर में ही निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर इसके बारे में अवगत कराया और साक्ष्य देकर तत्काल प्रभाव से महुआ को निलंबित करने की मांग की।
फैसला भी आ चुका है और महुआ मोइत्रा की सांसदी भी छीन चुकी है। हालांकि इन सब आरोपों को महुआ ने निराधार बताया है। अब देखना है की उनका आगे का फैसला क्या होगा ? क्या वो अपने अन्य विकल्पों का प्रयोग करेंगी या फिर अगले 4 महीनो तक इंतज़ार करके फिर से चुनाव लड़ेंगी ? लोकसभा चुनाव नज़दीक है और ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तल्खी और बढ़ती जाएगी।