यूपी में यादवों का वोट अब समाजवादी पार्टी को नहीं मिलेगा? क्यों है यादवों में गुस्सा?
लोकसभा चुनाव करीब है और ऐसे समय में सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी कमर कस कर अपने क्षेत्र पर काम करना शुरू कर दिया है। मौजूदा समय में यूपी और बिहार में विशेषकर जाति आधारित चुनाव होते आये हैं। जिसमे सबसे बड़ा वोट बैंक यादव समुदाय का माना जाता है। हालांकि अन्य जातियां भी हैं उस प्रदेश में जिनकी आबादी लगभग या उनसे अधिक है लेकिन यादव और मुस्लिम वोट के गठजोड़ से हर बार समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में और राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार में सरकार बनाई है।
वोट बैंक का समीकरण उत्तर प्रदेश और बिहार में हमेशा ऐसे ही बनाया जाता है। यही कारण है की यादवों के नेता अखिलेश यादव और बिहार में यादवो के नेता लालू यादव अपनी राजनीति चलाते हैं। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में उनकी नैय्या पार लगती नहीं दिखाई देती है।
हाल ही में एक यूट्यूब न्यूज़ पोर्टल ‘द राजधर्म’ ने यादव समुदाय को लेकर अयोध्या में एक रिपोर्टिंग की। इस वीडियो में यादव समुदाय से सवाल पूछे गए की इस बार के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश का यादव समुदाय किसका समर्थन कर रहा है? इसके अलावा इस मुद्दे पर भी सवाल किया गया की जब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण पत्र अखिलेश यादव को गया तो उन्होंने क्यों मना कर दिया?
मौजूद यादव समाज ने अखिलेश यादव को खड़ी-खोटी सुनाई और और उन्हें कभी धर्म का काम ना करने वाला बताया। इसके अलावा उन्होंने कार सेवको पर गोली चलवाए जाने को लेकर भी अखिलेश यादव को माफ़ी मांगने के लिए कहा। राम मंदिर शिलान्यास को लेकर निमंत्रण पत्र ठुकराने वाले अखिलेश यादव को मौजूद यादव समाज के लोगों ने कंस बता दिया। उन लोगों की प्रतिक्रया देखकर ऐसा प्रतीत होता है की उत्तर प्रदेश में यादव समाज अब अखिलेश यादव से अलग हो चुका है और आने वाले चुनाव में उन्हें इसका खामियाज़ा भुगतना भी पड़ सकता है।
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यूपी-बिहार में बीजेपी लगा रही यादव वोटों में सेंध
उत्तर प्रदेश में सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर, महान दल अध्यक्ष केशवचंद्र मौर्य और नोनिया समाज के नेता दारा सिंह चौहान के बाद अब यादव महासभा पर भी समाजवादी पार्टी के मुखिया का एकाधकार ख़त्म होता दिख रहा है। मुलायम सिंह यादव को नेता मानने वाले अखिल भारतीय यादव महासभा में भी दो धड़ बंट चुके हैं। जानकारी के अनुसार यादव महासभा के टूटे हुए धड़े की बड़ी बैठक आज लखनऊ में होने वाली है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी इस यादव महासभा के कार्यक्रम में शामिल होने वाले हैं। ऐसी खबर भी आ रही है की इस बैठक में श्री कृष्ण जन्मभूमि को लेकर भी बड़ी खबर आ सकती है।
दूसरी तरफ बिहार में यादव वोटो को साधने के लिए बीजेपी ने एक बड़ी चाल चली है। शुरू से ही बिहार में यादव और मुस्लिम गठजोड़ का वोटबैंक बना के राजद सत्ता में आती रही है। राष्ट्रीय जनता दल की राजनीति आज भी यादव-मुस्लिम के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है। इसी को साधने के लिए बीजेपी ने मध्यप्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री मोहन यादव को बिहार दौरे के लिए रखा है। राजद और सपा ने हमेशा से बीजेपी को अगड़ों की पार्टी कह कर सम्बोधित किया है।
लेकिन मध्यप्रदेश में मोहन यादव को सीएम बनाकर बीजेपी ने राजद और सपा को धर्मसंकट में डाल दिया है। ऐसे में इस बार के चुनाव में सपा और राजद को इस बाबत चिंता होना स्वाभाविक है। कृष्ण चेतना मंच के कार्यक्रम के लिए मोहन यादव 18 और 19 जनवरी को बिहार के दौरे पर जाएंगे। जानकारी के अनुसार यदुवंशियों को जोड़ने के लिए यह एक गैर राजनितिक कार्यक्रम रखा गया है। इसके ज़रिये बीजेपी ने यादव वोटों को साधने के लिए और लोकसभा चुनाव में यादवों को जोड़ने के लिए एक अच्छी रणनीतिक चाल चली है।