“हमारे मंदिरों को तोड़ा, हिन्दुओं के सर काटे” – दानिश कनेरिया का ट्वीटर पर जवाब
सोशल मीडिया साइट एक बेहतर माध्यम बन गया है अपनी बात रखने और कहने के लिए। इसका फायदा आम से लेकर ख़ास सभी लोग उठा रहे हैं। आये दिन सोशल मीडिया पर किसी न किसी बात को लेकर बहस चल रही होती है। पाकिस्तानी क्रिकेटर दानिश कनेरिया भी समय-समय पर अपनी बात सोशल साइट्स के माध्यम से रखते आये हैं। अभी हाल ही में उन्होंने भारत में मंदिरों के पुनरुत्थान और इतिहास से सम्बंधित कुछ बातें साझा की।
ट्विटर (X) पर किये गए अपने ट्वीट में दानिश कनेरिया लिखते हैं, “ताक़त के बल पर हमारे मंदिरों को तोड़ा गया, ज़ुल्म किये गए, हिन्दुओं के सर काटे गए और उसकी मीनार बनाई गयी। आज हमारे श्रद्धा स्थानों पर खड़े इन नापाक ढांचों को देखकर लगता है की किसी ने हमारे पूर्वजों की लाश पेड़ से लटका दी हो और कह रहा है की हिम्मत हो तो संस्कार कर के दिखाओ। एक संस्कार 1992 (बाबरी विध्वंस) में हो गया, अब कुछ और बाकी है। ”
दरअसल ये ट्वीट उन्होंने एक शादाब चौहान नाम के व्यक्ति को जवाब के रूप में दी है। शादाब चौहान के ट्वीटर प्रोफाइल में उसने खुद को पीस पार्टी का मुख्य प्रवक्ता बताया है। शादाब ने ट्वीटर पर एक ट्वीट किया था जिसमे उन्होंने लिखा है, “याद रखो ताकत की बुनियाद पर तुम ज़ुल्म कर सकते हो लेकिन हक़ आकर रहेगा, बातिल मिटकर रहेगा और मुसलमानो से नफरत में तुम इन्साफ को भूल चुके हो।
याद रखो की हम अपनी इबादतगाहों की हिफाज़त के लिए इंशाअल्लाह आखरी सांस तक संवैधानिक संघर्ष करते रहेंगे, हम मस्जिदों को बुतखाने (मूर्ति रखने वाली जगह) के लिए नहीं देंगे। बाबरी मस्जिद की तर्ज़ पर बड़ा षड़यंत्र किया जा रहा है मुसलमानो के साथ। ये सब POWA (places of worship act) 1991 का उल्लंघन है, हम संविधान की रक्षा करेंगे। ”
क्या है POWA 1991 Act
इस एक्ट के अंतर्गत 15 अगस्त 1947 से पहल अस्तित्व में आये किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जाएगा। अगर कोई इस एक्ट का उल्लंगन करता है तो उस पर जुर्माना और 3 साल तक की जेल भी हो सकती है। इस कानून को तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने संसद में पेश किया। इस कानून के आते समय यानी साल 1991 में पुरे देश भर में बाबरी मस्जिद और राम मंदिर को लेकर मामला गरम था।
क़ानून बनाने का मकसद ही आगे होने वाले किसी भी तरह के विवाद को रोकना था। क्योंकि राम मंदिर के आंदोलन का प्रभाव देश के अलग मंदिरों और मस्जिदों के ऊपर भी पड़ सकता था।
क्या कहता है इतिहास ?
सामान्य तौर पर मुग़ल, अंग्रेज़, डच, पुर्तगाली और अन्य सभी अलग धर्मों के लोग भारत में बाहर से ही आये थे। लेकिन सबसे ज़्यादा इस भारत भूमि पर मुग़लों का राज़ रहा। भारतीय किताबों में भी मुग़लों के इतिहास की ही झलक मिलती है। इतिहास की बात करें तो अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर अपने भाषण में गजनी और सोमनाथ मंदिर का ज़िक्र किया करते थे। ये वही गजनी था जो सोमनाथ के मंदिर पर 17 बार आक्रमण कर चुका था।
मुग़ल आक्रांता हमारी संस्कृति से अलग विचार रखते थे। उनके अनुसार हिन्दुओं के मंदिर और उनमे रखी मूर्तियां नहीं होनी चाहिए क्योंकि ये उनके मज़हब ‘इस्लाम’ के अनुसार गलत है। ऐसे में मुग़ल ने भारत की भूमि पर जहां भी अपने पैर पसारे, वहाँ मूर्तियां तोड़ी गयी और मंदिरों को नष्ट कर उनके ऊपर गुम्बद बनाये और उसे एक मस्जिद का आकार दे दिया गया। ऐसा देश के लगभग सभी राज्यों में देखने मिल सकता है।
मौजूदा समय में दानिश ट्वीटर पर काफी सक्रिय रहते हैं और खुल कर हिन्दुओं के ऊपर हो रहे अत्याचार का विरोध करते हैं। चाहे वह मामला उनके देश पाकिस्तान की हो या फिर हिन्दुस्तान की। दानिश पाकिस्तान के अंदर हो रहे महिलाओं और नाबालिग हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर भी खुल कर बोलते हैं।
Outstanding feature