DMK सांसद दयानिधि का विवादित बयान, ‘हिंदी बोलने वाले शौचालय साफ़ करते हैं’
दक्षिण भारत के राज्यों में अक्सर हिंदी भाषियों पर अत्याचार की खबर आपने पढ़ी होगी। ऐसे ही एक खबर को फ़र्ज़ी बताकर मनीष कश्यप को भी जेल में बंद कर दिया गया था और NSA भी लगा दिया गया था। हालांकि नेता इस बात को सिरे से नकार देते हैं लेकिन इस बात में सच्चाई भी है। ऐसे ही हिंदी भाषियों से नफरत को खुले मंच पर जाहिर किया है DMK सांसद दयानिधि मारन ने। उनके अनुसार जो भी लोग हिंदी भाषी राज्यों से आते हैं वह तमिलनाडु में सड़कें और शौचालय साफ़ करते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा की हिंदी भाषी लोग यहां छोटे-मोटे काम करने आते हैं। उनके बयान का ये वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रहा है। उन्होंने ये टिप्पणी सार्वजनिक सभा में तमिल भाषा में की थी। जिसके बाद से उनके इस बयान पर बवाल मचा हुआ है। भाजपा के अलावा बिहार की जदयू और राजद जैसी पार्टियां उनके इस बयान की आलोचना कर रही है।
बीजेपी के प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कहा है की DMK सांसद सेंथिल कुमार ने इससे पहले उत्तर भारतीयों पर टिप्पणी की थी। इसके बाद तेलंगाना के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना के DNA को बिहार से बेहतर बताया था। उसके बाद अभी DMK नेता दयानिधि ने अपने बयान से उत्तर और दक्षिण भारत की बहस को बढ़ावा दिया है। उनका कहना है की DMK ‘इंडिया’ गठबंधन का हिंसा है और इसी गठबंधन में उत्तर बिहार की बड़ी पार्टियां राजद, जदयू और सपा जैसी पार्टियां भी है।
MK स्टालिन ने दी हिदायत
DMK सुप्रीमो एमके स्टालिन ने पहले ही अपने नेताओं को हिदायत दी है। उन्होंने इस तरह की बयानबाज़ी से बचने के लिए कहा है। जिसके बाद दयानिधि मारन ने उत्तर भारतीयों और हिंदी भाषियों को अपने बयान से निशाना बनाया है। हालांकि ये भी कहा जा रहा है की उनका बयान हिंदी और अंग्रेजी बोलने वालों की तुलना करते हुए दिया गया है। दयानिधि के अनुसार जो लोग अंग्रेजी जानते हैं उनको अच्छी नौकरी मिलती है जबकि हिंदी बोलने वाले तमिलनाडु के अंदर सड़कें और शौचालय साफ़ करते हैं।
‘गौमूत्र राज्य’ वाले बयान पर भी हुआ था बवाल
लोकसभा में DMK नेता सेंथिल कुमार ने हाल ही में बीजेपी की जीत पर टिप्पणी करते हुए कहा था की बीजेपी केवल हिंदी पट्टी वाले राज्यों में ही जीत सकती है। जिसे आमतौर पर ‘गोमूत्र’ राज्य कहा जाता है। इसके अलावा बीजेपी पर तंज कसते हुए सेंथिल ने कहा की आप (बीजेपी) दक्षिण भारत में नहीं जीत सकते। हालांकि अपने ‘गोमूत्र’ वाले बयान पर उन्होंने बाद में माफ़ी भी मांग ली थी लेकिन उनके इस बयान पर खूब हंगामा हुआ था। मिली जानकारी के अनुसार DMK सांसद सेंथिल का बयान सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया है।
हिंदी का इतना विरोध क्यों ?
दक्षिण भारत में भाषा की राजनीती बहुत होती है। खासकर लोकसभा चुनाव में उत्तर और दक्षिण भारत को अक्सर बांटने की कोशिश की जाती है। हिंदी भाषियों के प्रति नफरत और उनके विवादित बयान आने वाले विवाद का पूर्वाग्रह हो सकता है। ऐसे ही बिहार के एक हिंदी भाषी युट्यूबर मनीष कश्यप को भी फ़र्ज़ी वीडियो के आधार पर तमिलनाडु जैसे राज्य में NSA जैसी धारा लगा दी गयी थी। जिसके बाद लगभग 9 महीने उन्हें जेल में रहना पड़ा और बीते दिनों 23 दिसंबर को उनकी ज़मानत हुई।
दक्षिण भारत के नेताओं को हिंदी भाषा के रूप में स्वीकार नहीं है और यही कारण है की हिंदी भाषा और हिंदी बोलने वाले लोग जब उनके यहां काम करने जाते हैं तो उन्हें इस बात से परेशानी होती है। आये दिन सोशल मीडिया पर हिंदी और क्षेत्रीय भाषा से जुड़े विवाद वाली वीडियो आप देख सकते हैं। हालांकि लोगों के बीच किसी प्रकार का वैमनस्य नहीं है किन्तु नेताओं के द्वारा इस विवाद को अक्सर हवा दी जाती रही है। चुनाव जैसे मौके पर इस तरह के बयान आप अक्सर सुन सकते हैं।
क्या करेंगे नीतीश-लालू ?
गौरतलब है की नीतीश कुमार और लालू यादव भी DMK की तरह ही ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा हैं। यह गठबंधन सिर्फ 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र किया गया है। ऐसे में एक ही गठबंधन के नेता होने के बावजूद दूसरे नेताओं के राज्यों पर भद्दी बयानबाज़ी करना कहाँ तक उचित है?
ऐसे में नीतीश-लालू ‘इंडिया’ गठबंधन को किस तरह लेने का विचार कर रहे हैं? सबसे ज़्यादा बिहार से ही लोग काम के लिए पलायन करते हैं और ऐसे में इस तरह का बयान सीधे तौर पर नीतीश-लालू की सरकार को चुनौती है। दूसरी ओर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर भी यही सवाल उठता है की क्या हिंदी भाषी वाकई में इतने लाचार हैं की उनके नेता ही उनके विरोधियों के साथ सिर्फ सत्ता के लिए जुड़े हुए हैं?
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