JDU विधायक गोपाल मंडल की दबंगई नहीं है नई, विवादों से रहा है नाता
विधायक गोपाल मंडल अक्सर अपने कारनामे से सुर्ख़ियों में रहते हैं। दबंगई और धौंस दिखाना जैसे उनकी फितरत रही है। ताज़ा मामला है भागलपुर का है जहां विधायक ने मामूली सी बात पर एक युवक को थप्पड़ जड़ दिया। जिसके बाद वह फिर से सुर्ख़ियों में आ गए। दरअसल मामला ये हुआ की एक केले वाले की एक्सीडेंट में मौत हो गई जिसको लेकर उसके परिजन और आस-पास वाले लोग भागलपुर में जीरो माइल चौक के पास धरना प्रदर्शन कर रहे थे। उन लोगों की मांग थी की जिलाधिकारी आकर परिजन को भरोसा दिलाये और मुआवज़ा दिलाये।
इसी बीच जदयू विधायक गोपाल मंडल वहां पहुंचे और लोगों से बात करने की कोशिश की। आक्रोशित लोगों ने जीरोमाइल से सबौर जाने वाले मुख्य मार्ग को जाम कर दिया था और मुआवज़े की मांग कर रहे थे। विधायक के समझाने के दौरान मुआवज़े की मांग करने पर पीड़ित पक्ष के किसी व्यक्ति को थप्पड़ मार दिया गया। उसके बाद यह कहा गया की वह डीएम के भी बाप हैं। इसी बात पर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा की उन्होंने अपने आदमी को मारा है। हम कोई बेवकूफ नहीं है जो आम आदमी के ऊपर हाथ उठाएंगे।
विधायक गोपाल मंडल ने थप्पड़ वाली बात पर क्या कहा?
शख्स को थप्पड़ मारने के बाद जब मीडिया कर्मी ने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा की वह मृतक के परिजनों को जाम हटाने के लिए कह रहे थे। मेरे साथ जो आदमी था वह वो समझाने नहीं दे रहा था और हमको खिंच रहा था इसलिए अपने आदमी को थप्पड़ मारे थे। मैंने उनके (मृतक) आदमी को नहीं मारा है।
विधायक जी की दबंगई पुरानी है
विधायक गोपाल मंडल के बारे में कहा जाता है की ये जहां-जहां जाते हैं वहीं पर विवाद शुरू हो जाता है। बांका जिले के बौंसी का एक ऐसा ही मामला है जहां जमीन पर दबंगई दिखाने गोपाल मंडल बन्दूक और पिस्तौल के साथ पहुंचे थे। वहाँ स्थानीय लोगों का पूरा हुजूम उन्हें घेर कर खड़ा हो गया था। विधायक वहाँ पर बंधक भी बन गए थे। भारी हंगामा भी हुआ था। भीड़ बढ़ती देख विधायक जी भी हड़बड़ा गए थे। वहाँ से निकलते ही विधायक जी ने कहा की वह चाहते तो फैसला कर लेते लेकिन उनकी मंशा गलत नहीं थी।
इसके अलावा एक बार अपने विधानसभा क्षेत्र में मरीजों के उपचार में लापरवाही को देखकर डॉक्टर को एके 47 से भून डालने की धमकी दे देते हैं। विक्रमशिला पुल पर हुए विवाद के बाद इन्होने डीएसपी रैंक के अधिकारी को भी नहीं छोड़ा। इन्होने डीएसपी के बारे में कहा की उसको गंगा में फेंक देंगे। इस पर काफी समय तक विवाद बना रहा। धौंस दिखाने के लिए फायरिंग करना, सरकारी भूखंड पर कब्ज़ा करना, जमीन पर कब्ज़ा करना, ट्रेन के अंदर चड्डी-बनियान में घूमना, कार्यक्रमों में अपना ख़ास नाच दिखाना जैसे कारनामों से भरे पड़े हैं।
इनकी हरकतों से एक बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इनसे नाराज़ हो चुके हैं। जिसके बाद इन्होने मंत्री पद तक की मांग कर दी थी। हालांकि उन्हें मंत्री पद तो नहीं मिल सका लेकिन उसके बाद के उनके बयानों ने राजनितिक गलियारे में हलचल मचा दी थी। नीतीश के इस नेता ने बिहार में एक अलग ही परिभाषा गढ़ने का प्रयास किया है। बिहार में नेताओं का शौक समाज सेवा करना नहीं बल्कि बाहुबली बनना है। शायद यही कारण है की नीतीश कुमार जैसे ‘विकास पुरुष’ वाले नेता भी ऐसे नेताओं को अपनी पार्टी में जगह देते हैं। ऐसे नेता खुलेआम कानून का मज़ाक उड़ाते हैं और लोगों के सामने नेताओं की गलत छवि प्रस्तुत करते हैं।